इस्लाम में हर धर्म से ज़्यादा महिलाओं को मिले हैं अधिकार: मौ0 खालिद रशीद
कानपुर: मुसलमानों के पारिवारिक कानून, मुस्लिम पर्सनल ला के संरक्षण, सामाजिक सुधार, इस्लामी निज़ाम ए निकाह, तलाक, खुला, विरासत और पोषण आदि के उद्देश्य और प्रक्रियाओं को उजागर करने और संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार में छेड़छाड़ के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अभियान के समर्थन में जमीअत उलमा ए हिन्द के निर्देश पर जमीअत उलमा नगर कानपुर द्वारा न्यू जुब्ली गर्ल्स हलीम कॉलेज चमन गंज में महिलाओं के जलसे का आयोजन हुआ जिसमें मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली लखनऊ मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी, मौलाना मुफ्ती इकबाल अहमद क़ासमी, मौलाना अब्दुर्रशीद कासमी के बयान हुए।
लखनऊ से आए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने कहा कि इस समय शरियत की रक्षा व प्रसार के मिशन में सभी उलमा व धार्मिक बुद्धिजीवी लगे हुए हैं प्रत्येक व्यक्ति की चिंता यही है कि किस तरीके से शरीअत की रक्षा को यक़ीनी बनाया जाए, वर्तमान में मुस्लिम पर्सनल लॉ से जो छेड़छाड़ की कोशिश की गई है अगर ये सफल हो जाती है तो मुसलमानों को लगभग चालीस कुरआन की आयतों और सैकड़ों हदीसों का पालन करने से जबरन रोका जाएगा। मौलाना ने विस्तार पूर्वक बयान करते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत के लॉ दो प्रकार में बांटा गया है-एक आपराधिक लॉ और दूसरा सीविल लॉ, आपराधिक लॉ में अपराध आदि से संबंधित नियमों और सीविल लॉ में सामाजिक और सांस्कृतिक मामले आते हैं उन्हीं में पर्सनल लॉ है जिसमें अल्पसंख्यकों को अपने धर्म के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता है इसमें तलाक, शादी, खुला, विरासत, खजानत आदि सहित 17 मामले आते हैं। अदालत की जिम्मेदारी है कि वह इन मामलों में मुस्लिम पर्सनल ला के अनुसार फैसला करें। ्तलाक़ के द्वारा सरकार समान नागरिक संहिता लागू करना चाहती है, ये कोई नई कोशिश नहीं है जब जब पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप करने की कोशिश की गई तब तब उलमा ए हक ने मुसलमानों को जागरूक करके पूरी दृढ़ता से लड़ाई लड़ी है और आज भी लड़ेंगे। भारत का मुसलमान आजादी के बाद से विभिन्न प्रकार का अत्याचार सहन कर रहा है आजादी से पहले सरकारी नौकरियों की तुलना वर्तमान में किया जाए तो नगण्य है। मुसलमानों ने हजारों सांप्रदायिक दंगों को झेला तमाम तरह के अत्याचार सहन कर लिया लेकिन शरीअत में हस्तक्षेप कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मौलाना ने तलाक और महिलाओं के शोषण से संबंधित सरकारी रिपोर्ट के हवाले से कहा कि तलाक का ग्राफ अन्य धर्म की महिलाओं की तुलना में मुस्लिम महिलाओं में आधा प्रतिशत से भी कम है इस्लाम ने जितने अधिकार महिलाओं को दिए हैं किसी भी धर्म में नहीं दिए कुछ धर्मों में तो धार्मिक किताबें पढ़ने तक पर प्रतिबंध है लेकिन हमारे धर्म में महिलाएं भी हाफिज़ ए कुरआन और आलिमा हुई हैं आज भी महिलाओं हाफिज़ व आलिमा बन रही हैं। अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रजि0 जो मुफस्सिर कुरआन हैं जरूरत पड़ने पर वह हजरत आयशा सिद्दीका रजि0 से मसला पूछते थे। हदीसों में चार हजार पांच सौ साठ हदीसे औरतों से ही रावी(वर्णित) हैं। मौलाना ने मुसलमानों से अपने पारिवारिक समस्याओं को शरई अदालतों में हल करने और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा जारी हस्ताक्षर अभियान में भाग लेकर इसे सफल बनाने की अपील की।
जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी ने कहा कि आज का यह जलसा देश में कुछ बेवकूफों द्वारा जानबूझकर छेड़े गए अभियान के खिलाफ है। महिलाओं के साथ अपराध करने वालों के पेट में दर्द हो रहा है, अगर वे महिलाओं के सच्चे हितैषी हैं तो छात्राओं का एंकानउण्टर करने वाले और गुजरात में महिलाओं के साथ क्रूर व्यवहार करने वाले क्यों स्वतंत्र हैं। तीन तलाक का हंगामा ऐसा लगता है कि देश में अब कोई समस्या शेष नहीं रह गयी है, सब समृद्ध हो गए हैं, महंगाई व भुखमरी समाप्त हो गयी है और सभी के खाते में 15-15 लाख रुपये जमा हो गए हैं अब केवल यही समस्या बनी हुई है इस को हल करना आवश्यक है। मौलाना ने सर्वे के हवाले से कहा कि जिस देश में 35 करोड़ लोग बिना खाए सो जाते हैं और वहां के आदिवासी मजबूरन पेड़ के पत्तों पर गुजारा कर रहे हैं वहां पर इन समस्याओं को नजरअंदाज करके शरीअत में अनावशयक हस्तक्षेप के पीछे नहीं पड़ना चाहिए। ऐसा करने वालों को मूर्ख नहीं कहा जाए तो क्या बुद्धिमान कहा जाए मौलाना ने कहा कि जो भी फित्ने पैदा होते हैं वे कम अमली व कम शिक्षा के आधार पर होते है। तलाक का जो समस्या है वह भी इसलिए लगता है क्योंकि ऐसा आभास दिया जा रहा है कि तीन तलाक से कम से तलाक होती ही नही दुनियावी शिक्षा रखने वाले लोग भी इस से अनभिज्ञ हैं। मौलाना ने कहा कि नकारात्मक प्रचार में सकारात्मक पहलू भी निकल सकता है हम आज कम से कम तलाक के बारे में विस्तार से जानेंगे इसके बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे कई घटनाएं होती हैं जिससे पता चलता है कि उन्हें यह बात मालूम ही नहीं थी कि इस्लाम में तलाक देने का तरीक़ा क्या है। उसने तीन तलाक दे दिया। मौलाना ने सरकार की बदनीयती को उजागर करते हुए कहा कि सरकारी रिपोर्ट का अध्ययन करो तो पता चलेगा कि 55 हजार तलाक के मामले विचाराधीन हैं जो मुसलमानों का केवल आधा प्रतिशत है। भारत में हर घंटे में एक-लड़की उत्पीड़न प्रत्येक पंद्रह मिनट में बलात्कार का शिकार होती है। हर सात सेकंड में लड़कियों को पेट में मार दिया जाता है। सरकारों को इसकी चिंता करनी चाहिए। मौलाना ने कहा कि इस्लाम पूर्ण हो चुका है उसके पूरे सिस्टम में अब कोई कमी या ज्यादती का अधिकार किसी को भी नहीं है, अल्लाह का बनाया हुआ कानून पूरी मानवता के लिए बेहतर है, अल्लाह ने तलाक को हलाल चीजों में अप्रिय होने के बावजूद बाकी रखा है तो इसकी भी कोई कारण है इसके जरिये घुट घुटकर जीने से मनुष्य बच जाता है। रही बात तीन तलाक की तो इस्लाम से पहले लोग सैकड़ों तलाक दे देते थे और फिर वापस ले लेते इस तरह से न पत्नी को छोड़ते थे और न रखते थे जिससे औरत परेशान होती थी इस्लाम ने इसे तीन तक निर्भर कर महिलाओं के साथ न्याय किया है। मौलाना ने कहा कि सामाजिक बुराइयों के कारण इस्लामी लॉ में परिवर्तन नहीं कर सकते। जलसह में मौजूद महिलाओं ने तीन पृष्ठ पर आधारित मांगों के लिए हस्ताक्षर किए। जलसे का संचालन मौलाना मुहम्मद अकरम जामई ने किया और अमीनुल हक अब्दुल्ला ने जोश व उमंगों से भरा हुआ तराना पेश किया। जलसे में हज़ारों महिलाओं के अलावा बड़ी संख्या में पुरुषों ने भी भाग लिया। जिसके कारण किये गये इन्तेज़ाम कम पड़ गये।