भारत में कारोबार करना अभी भी सरल नहीं: ओबामा
नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत में नियामकीय और कर परिवेश में ‘निरंतरता’ और ‘सरलता’ की मांग उठाई और दोनों देशों के बीच व्यापार और व्यवसाय में उल्लेखनीय वृद्धि के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़े मुद्दों के समाधान पर भी जोर दिया।
ओबामा ने धानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में भारत-अमेरिका सीईओ फोरम की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में ढांचागत क्षेत्र में सुधार की काफी गुंजाइश है। इसके अलावा सड़क नेटवर्क और ब्राडबैंड कनेक्टिविटी का विस्तार होने से देश में व्यावसायिक गतिविधियों को तेजी से बढ़ने में मदद मिलेगी।
ओबामा ने चुनिंदा सीईओ को संबोधित करते हुए कहा, अमेरिकी कंपनियां भारत में नियमन और कर परिवेश में निरंतरता, स्पष्टता और सरलता लाने में काफी रुचि रखती हैं। यदि ऐसा होता है तो मेरा मानना है कि इससे भारत में व्यावसायिक गतिविधियों में काफी वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने जिन कई सुधारों की दिशा में पहल की है यह उन्हीं के अनुरूप है। ओबामा ने कहा कि मोदी ने तीव्र वृद्धि और निवेश के लिये भारत की नई रचना करने के वास्ते नई ऊर्जा और जोश पैदा कर दिया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिकी कंपनियां भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे मुद्दों को लेकर काफी चिंतित हैं, क्योंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था तेजी से एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनती जा रही है।
उन्होंने कहा कि भारत में प्रभावी बौद्धिक संपदा सुरक्षा कानून नहीं होने से कारोबार प्रभावित हो रहा है।
ओबामा ने अमेरिका की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी डिजनी के बॉलीवुड में निवेश का भी जिक्र किया और इसे उत्साहवर्धक बताया।
ओबामा ने कहा कि दोनों देशों द्वारा जिन खास चीजें पर काम करने की जरूरत है उनमें दोनों देशों में कारोबार करना आसान बनाना शामिल है। उन्होंने कहा, अब भी कई बाधाएं हैं। इसलिए नियमों को दुरुस्त करने, लालफीताशाही हटाने और नौकरशाही से परे जाने की जरूरत है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत में 4 अरब डॉलर निवेश की घोषणा की, जिसमें मेक इन इंडिया कार्यक्रम में मदद के लिए अमेरिका की ओर से निर्यात के वित्त पोषण हेतु एक अरब डॉलर, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए एक अरब डॉलर एवं अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में दो अरब डॉलर का निवेश शामिल है।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी निर्यातक भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे मुद्दों को लेकर बहुत चिंतित हैं, क्योंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था तेजी से ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का रूप ले रही है।
ओबामा ने कहा कि भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण की ‘कारगर व्यवस्था के अभाव’ में कारोबार प्रभावित हो रहा है। ‘‘हम वैश्विक मूल्यवर्धन शृंखला के उच्चतम स्तर पर काम करना चाहते हैं। उन्होंने जिन अतिरिक्त उपायों की घोषणा की उनसे भारत के साथ दो अरब डॉलर से अधिक के व्यापार एवं निवेश होने एवं दोनों देशों में हजारों की संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है।
निवेश लाने के लिए मोदी की सुधार संबंधी पहल का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा, हमें व्यापार को दबाने के बजाय इसे प्रोत्साहन देने की जरूरत है। हमें पारदर्शी, सुसंगत होने और बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण करने की जरूरत है। ओबामा ने कहा, हम भारत को आगे बढ़ने में मदद के लिए एवं अगली पीढ़ी की स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में साझीदारी करने व रेलवे, सड़क, बंदरगाह, हवाईअड्डों और विश्व को सर्वोत्तम संपर्क उपलब्ध कराने हेतु ब्राडबैंड कनेक्टिविटी के उन्नयन के लिए नयी प्रौद्योगिकियां विकसित करने में मिलकर काम कर सकते हैं।’’ उन्होंने उन तीन स्मार्ट शहरों का भी जिक्र किया जिनके विकास में अमेरिका भारत की मदद करेगा।