ज़ीनत शम्स

विशाखापत्तनम आज दूसरा भोपाल बनने से बच गया, इसका श्रेय हमारी आपातकालीन सेवा, नेवी और स्थानीय प्रशासन को जाता है जिसने समय रहते विशाखापत्तनम को भोपाल बनने से बचा लिया| समय पर पहुंची राहत से यह भयानक हादसा त्रासदी बनने से बच गया|

सारी फाॅर्स ने आस पास के पांच गावों को अपने घेरे में ले लिया और हर घर के दरवाज़े पर मदद के लिए पहुंचे| अग्निशमन सेवा कर्मचारी भी ऑक्सीजन का सिलेण्डर घर घर पहुंचा रहे थे, घायलों को तुरंत अस्पताल पहुँचाया गया जहां 11 लोगों के मरने और २०० लोगों के घायल होने की खबर है

कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन से बंद कारखानों को अब धीरे धीरे खोलने की मंज़ूरी मिलने लगी है और जब इन फैक्ट्रियों को खोलने की तैयारी शुरू हो रही है तो इस दिशा में इस तरह की घनाएं बहुत बड़ी बाधा बन सकती हैं | छत्तीसगढ़ के रायगढ़ ज़िले में भी आज इसी तरह की एक घटना हुई| वहां एक पेपर फैक्ट्री में गैस लीक के कारण सात कर्मचारियों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा जिसमें तीन की हालत गंभीर बताई जाती है|

देश कोरोना के कारण वैसे ही मेडिकल एमर्जेन्सी से जूझ रहा है , अगर यह समस्या बड़ी हो जाती है तो स्थिति बहुत ही भयानक हो जाती है| दो फैक्ट्रियों में हुई गैस रिसाव की घटनाओं से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जो लेबर कोरोना के डर घर जाने को जूझ रहा है वह क्या कारखानों में कामकरने वापस लौटेगा | क्या फैक्ट्रियों की स्थिति इतनी ख़राब है कि कुछ समय से बंद रहने पर उनमें ऐसे भयानक काण्ड हो रहे हैं| बहरहाल कुछ भी हो, विशाखापत्तनम को भोपाल बनने से बचने वाले हर बहादुर को सलाम तो बनता है|