छोटे उद्योगों को सॉफ़्ट स्किल और कारोबार प्रशिक्षण की आवश्यकता
लखनऊ। इमर्जिंग बिज़नेस चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स यानी ईबीसीसी ने लखनऊ में शेयर्ड सर्विस सेंटर शुरू कर दिया है। एसोचैम उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राकेश सिंह ने ईबीसीसी के लखनऊ कार्यालय को जनता को समर्पित किया।
एसोचैम के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष और ईबीसीसी के सलाहकार मंडल के प्रमुख राकेश सिंह ने कहाकि कारोबार के बदलते क्षितिज में शेयर्ड सर्विस सेंटर भारतीय लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्योगों की प्रमुख आवश्यकता है। ईबीसीसी ने इस सत्र में ‘स्टार्ट अप और एसएमई का विकास और शेयर्ड सर्विस सेंटर की आवश्यकता’ पर परिचर्चा का भी आयोजन किया था। राकेश सिंह ने बताया कि लखनऊ के क़रीबी जगदीशपुर से संचालित ईबीसीसी की स्थापना उद्यमी मक़सूद अहमद ख़ान ने की है ताकि लघु, मध्यम और सूक्ष्म कारोबार के उद्यमियों को एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जा सकें। उन्होंने कहाकि जगदीशपुर में शेयर्ड सर्विस सेंटर के मॉडल की स्थापना की गई है जिसका सफल प्रयोग किया गया है। इस सफल प्रयोग के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में ईबीसीसी शेयर्ड सर्विस सेंटर की स्थापना करेगा जिससे लघु, मध्यम और सूक्ष्म कारोबार और स्टार्टअप में एक क्रांति का सूत्रपात होगा।
“हमने ईबीसीसी के जगदीशपुर के प्रयोग के बारे में एसएमई मंत्री श्री कलराजजी मिश्र को बताया जिसके बाद उन्होंने जगदीशपुर आने के प्रति इच्छा जताई।” राकेश सिंह ने कहा। इस अवसर पर राकेश सिंह और ईबीसीसी के संस्थापक अध्यक्ष मक़सूद अहमद ख़ान ने सभी प्रतिभागियों और मेहमानों का स्वागत अदा किया। इस अवसर पर ख़ान ने कहाकि एक उद्यमी होने के नाते वह स्टार्टअप और लघु, मध्यम और सूक्ष्म कारोबार की बारीकियों और समस्याओं को समझते हैं। इमर्जिंग बिज़नेस चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स की स्थापना के पीछे उद्देश्य यही है। कारोबार जगत के चिंतक और प्रबंध जगत के दिग्गज राजू मोजा ने इस अवसर पर कहाकि लघु, मध्यम और सूक्ष्म कारोबारियों को पूँजी की विशेष आवश्यकता है। उन्होंने समय पर पूँजी की आवश्यकता की तुलना शरीर में रक्त के साथ करते हुए कहाकि यदि यह ज़रूरत समय पर पूरी कर दी जाए तो एसएमई को बहुत प्रतियोगी बनाया जा सकता है। राजू ने ईबीसीसी और इसके सदस्यों को समर्थन देने की बात कही। ईबीसीसी के कार्यकारी सचिव और ख़ंजाची कुमार अनिकेत ने कहाकि आज के शेयर्ड सर्विस सेंटर को कल के स्थानीय ऊष्मा केन्द्रों (लोकल इन्क्यूबेशन सेंटर) में विकसित किया जा सकता है।