अब पूरे देशमें एक ही कॉमन मेडिकल एन्ट्रेंस टेस्ट
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में इसी साल के लिए देशभर के कॉलेजों में MBBS और BDS पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एक ही कामन टेस्ट NEET को हरी झंडी दे दी, यानी अब देशभर के सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में दाखिले इसी के आधार पर होंगे। इससे अलग-अलग कॉलेजों और राज्यों के टेस्ट पर रोक लग गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा NEET के लिए दिए गए शेड्यूल पर मोहर लगा दी। इसके तहत NEET दो चरणों में आयोजित होगा। पहले चरण में 1 मई को टेस्ट होगा। जो ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट (AIPMT) 1 मई को होने जा रहा था, उसी को NEET फेज 1 माना जाएगा, जिसमें साढ़े छह लाख छात्र शामिल होंगे।
NEET का दूसरा फेज़ 24 जुलाई को होगा, जिसमें करीब ढाई लाख छात्र भाग लेंगे। इस चरण के लिए वे छात्र आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने 1 मई को प्रस्तावित AIPMT के लिए आवेदन नहीं किया था। दोनों चरणों के परिणाम 17 अगस्त को घोषित किए जाएंगे, जिसके बाद काउंसिलिंग के लिए 45 दिन का वक्त लगेगा, और 30 सितंबर तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, इसके बाद CBSE ऑल इंडिया रैंक तैयार कर अथॉरिटी को भेजेगी। टेस्ट के लिए केंद्र, राज्य, संस्थान, पुलिस सब CBSE की मदद करेंगे और टेस्ट पारदर्शी तरीके से हो, इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके और जैमर आदि का इस्तेमाल किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी को भी इस आदेश के अमल में दिक्कत हो तो वह सुप्रीम कोर्ट आ सकता है, और अगर NEET पर पहले किसी भी कोर्ट का कोई आदेश होगा, तो वह मान्य नहीं होगा।
NEET को लेकर तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक ने विरोध किया था। तमिलनाडु का कहना था कि उनके राज्य में दाखिले के लिए टेस्ट नहीं होता है, और वे मेरिट के आधार पर दाखिला देते हैं। इस पर केंद्र और CBSE की तरफ से पेश ASG पिंकी आनंद ने कहा था कि AIPMT के लिए आवेदन करने वाले 15,000 छात्र तमिलनाडु से ही हैं, जो 1 मई के लिए होने वाले टेस्ट में बैठेंगे, सो, यह कहना ठीक नहीं होगा कि वहां के छात्रों को इसके बारे में पता नहीं है।
तमिलनाडु ने कहा कि राज्य में 2007 से ही मेडिकल के लिए टेस्ट खत्म कर दिया गया था। बारहवीं के अंकों के हिसाब से मेरिट के आधार पर दाखिले होते हैं। ऐसे में NEET लागू हुआ तो बारहवीं की परीक्षा देने वाले चार लाख छात्र इससे वंचित रह जाएंगे।