लखनऊ: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यूपी के 50 सूखाग्रस्त जिलों के लिए अरहर दाल, खाद्य तेल और खाद्यान्न उपलब्ध कराने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने छह महीने के लिए ये सभी खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने का अनुरोध करते हुए यह भी कहा है कि यूपी की आर्थिक स्थिति के मद्देनजर इतनी खाद्य सामग्री के खर्च का बोझ राज्य सरकार के लिए वहन करना संभव नहीं है। बुधवार को मुख्यमंत्री ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से इस बाबत अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति के दृष्टिगत इस सामग्री पर आने वाला व्यय भार राज्य सरकार के लिए वहन करना सम्भव नहीं है। इस सामग्री के वितरण, परिवहन एवं मार्जिन मनी पर आने वाला व्ययभार राज्य सरकार वहन करने के लिए तैयार है। इस सम्बन्ध में जनपदवार आकलन संलग्न करते हुए प्रदेश शासन के पत्र दिनांक 3 फरवरी, 2016 द्वारा सचिव, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार से पहले ही अनुरोध किया गया है। 

श्री यादव ने लिखा है कि प्रदेश में वर्तमान वर्ष में सूखे के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल में कम वर्षा के बाद लगातार दूसरा वर्ष ऐसा है, जिसमें कृषकों के समक्ष सूखे की विषम स्थिति है। इससे अति गरीब लोगों के सम्मुख खाने-पीने की समस्या के साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य पर भी कुप्रभाव पड़ने की आशंका है।

इस स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश शासन सजग एवं संवेदनशील है। राज्य के 75 जनपदों में से 50 जनपद जिसमें बुन्देलखण्ड के सभी जनपद सम्मिलित हैं, सूखाग्रस्त हैं। इनमें लगभग 28 लाख परिवार अन्त्योदय श्रेणी के हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार इन परिवारों को 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रतिमाह की दर से खाद्यान्न उपलब्ध कराने पर लगभग 32 हजार मीट्रिक टन गेहूं तथा लगभग 68 हजार मीट्रिक टन चावल वितरित किया जाएगा। सूखाग्रस्त जनपदों की कुल जनसंख्या में से अन्त्योदय श्रेणी की यूनिटों की संख्या घटाने के बाद लगभग 11 करोड़ जनसंख्या शेष रह जाती है। सूखे की विषम स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार का यह सुविचारित मत है कि सूखाग्रस्त जनपदों की समस्त जनसंख्या को ए0पी0एल0 एवं बी0पी0एल0 का भेद किए बगैर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 का लाभ पहुंचाया जाए और 3 किलोग्राम गेहूं तथा 2 किलोग्राम चावल प्रति व्यक्ति प्रतिमाह का वितरण 6 माह तक कराया जाए, जिससे सूखाग्रस्त जनपदों के निवासी इस विषम परिस्थिति से उबर सकें।