लखनऊ: सांप्रदायिक जातीय हिंसा, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति, आतंकवाद के नाम मुस्लिमों का उत्पीड़न, ध्वस्त हो चुकी कानून व्यवस्था, राजनीतिक भ्रष्टाचार, खनन, किसान-नौजवान विरोधी नीतियों, दलित-महिला हिंसा के खिलाफ प्रदेश भर से इंसाफ पसंद अवाम का जमावड़ा लखनऊ में हो रहा है। अखिलेश राज के चार वर्ष पूरे होने पर सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है पूरे प्रदेश में कानून का राज खत्म हो चला है। प्रदेश के अन्य जगहों की बात तो दूर राजधानी लखनऊ में भी महिलाओं की आबरु सुरक्षित नहीं रही। प्रदेश भर में आए दिन लूट, बलात्कार एव महिला हिंसा की घटनाएं आम हो गई हैं जबकि प्रदेश की सरकार सैफई महोत्सव से लेकर अपने कुनबे के वैवाहिक समारोहों में व्यस्त है, दूसरी तरफ बुंदेलखंड में कर्ज से डूबा हुआ किसान अपनी बेटियों की शादी न हो पाने की वजह से आत्महत्या को मजबूर है। मौजूदा सरकार के राज में पूरे प्रदेश में दलित उत्पीड़न की बाढ़ आ गई है। 

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि अखिलेश सरकार के चार साल बीतने के बावजूद इस सरकार ने मुसलमानों, किसानों, नौजवानों, दलितों, महिलाओं, आदिवासियों समेत किसी भी तबके से किए गए वादे को पूरा नहीं किया है प्रदेश सरकार की इस वादा फरामोशी के खिलाफ प्रदेश भर की अवाम लखनऊ में इकट्ठा होकर ‘जन विकल्प मार्च’ निकालेगी और इस सरकार से वादा फरामोशी का हिसाब करेगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार चुनावी ध्रुवीकरण की राजनीति के तहत प्रदेश भर में हर चुनाव के पहले एक सांप्रदायिक हिंसा करवाती है। आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोष मुस्लिम नौजवानों को रिहाई के वादे से भी अखिलेश सरकार मुकर गई है। अदालती प्रक्रियाओं से रिहा होने वाले लोगों को भी सरकार पुर्नवास के वादे को पूरा नहीं किया है। निमेष कमीशन पर ऐक्शन टेकन रिपोर्ट न लाकर जहां निर्दोष खालिद-तारिक पर आतंक का ठप्पा लगाने का काम किया तो वहीं चुनावी वादे के मुताबिक दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। सरकार ने चुनावी वादा किया था कि सांप्रदायिक हिंसा के दोषियों को सजा देगी पर उसने जिस तरह से मुजफ्फरनगर से लेकर फैजाबाद, कोसी कलां, अस्थान, दादरी के दोषी भाजपा व आरएसएस के नेताओं को बचाने का काम किया उसने सपा-भाजपा गठजोड़ को जनता के सामने बेनकाब कर दिया है। सरकार बनाते समय मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुसलमानों से 18 फीसद आरक्षण का वादा किया था लेकिन सरकार बनने के चार साल बीत जाने के बाद भी मुलायम ने आरक्षण न देकर प्रदेश के मुसलमानों को ठगनें का काम किया है। 

आतंकवाद के विभिन्न मामलों में मुकदमा लड़ रहे बाराबंकी के वरिष्ठ अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि यूपी पुलिस और एटीएस उत्तर प्रदेश सरकार से संचालित न होकर नागपुर मुख्यालय से संचालित होती है इसीलिए योगी से साध्वी तक भड़काऊ व एक धर्म विशेष के खिलाफ आग उगलते हैं लेकिन पुलिस उन लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं करती है। 

प्रेस वार्ता में मौजूद 32 वर्षीय रामपुर निवासी मुहम्मद जावेद ने कहा कि साढ़े 11 साल जेल में रहने के बाद बाइज्जत बरी होने के बावजूद आज तक सरकार ने पुर्नवास तो दूर सरकार का कोई नुमाइंदा पूछने तक नहीं आया। उन्होंने कहा कि उस वक्त जब मैं 18 साल का था और मैं टीवी मैकेनिक का काम करता था। मेरा बस जुर्म यह था कि मैंने पाकिस्तानी लड़की से प्यार किया था। मोहब्बत किसी सरहद की मोहताज नहीं होती हम सब पूरी दुनिया में पे्रम-मोहब्बत से रहने की बात करते हैं पर जिस तरह से सरहद पार मोहब्बत करने के नाम पर मेरी जवानी के साढ़े ग्यारह साल बरबाद किए उसकी कौन जिम्मेदारी लेगा? पुलिस ने मेरे प्रेम पत्रों को मुल्क की गोपनीयता भंग कर आईएसआई का एजेंट बताया था। आज मैं अदालत से बाइज्जत बरी हो चुका पर मेरी गिरफ्तारी के लिए दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कोई भी कार्यवाई नहीं हुई। आज बरी होने के बाद मेरा पूरा परिवार तबाह हो गया है मेरे घर में मेरे अब्बू, अम्मी और छोटे भाई और बहन की मेरे ऊपर जिम्मेदारी है पर यह कैसे निभाउंगा मैं इस पर कुछ सोंच ही नहीं पा रहा हूं। मैं सरकार से मांग करता हूं की वादे के मुताबिक वह मेरे और मेरे जैसे उन तमाम बेगुनाहों के पुर्नवास को सुनिश्चित करे जिससे हम फिर से जिंदगी को पटरी पर ला सकें। 

इंसाफ अभियान के प्रदेश प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि अखिलेश राज में ध्वस्त हो चुकी कानून व्यवस्था का आलम यह है कि प्रदेश में पत्रकार को जिंदा जलाने, पत्रकार की मां के साथ थाने में बलात्कार करने की कोशिश में जिंदा जलाने, बुंदेलखंड में किसान को जिंदा जलाने, राजधानी में सीएम आवास के पास बच्ची का बलात्कार कर हत्या और बहराइच के आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या और सीओ जिया उल हक जैसे ईमानदार पुलिस अधिकारी की हत्या से यह बात साफ हो चुकी है कि प्रदेश सरकार इंसाफ का गला घोटने पर उतारु है। इंसाफ के लिए उठने वाली हर आवाज को कुचल रही है। यह ‘जन विकल्प मार्च’ देश और प्रदेश की सरकारों द्वारा आम आदमी की जिंदगी से किए जा रहे खिलवाड़ के खिलाफ इंसाफ के सवाल पर एक बड़े जन विकल्प निर्माण की तैयारी का आगाज है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में इंसाफ का सवाल केन्द्रीय विषय है बिना इंसाफ के सवाल को हल किए हुए लोकतंत्र की बात करना बेमानी है।