स्वर्णिम भारत बनाने के मंजिल की ओर चलने का संकल्प
लखनऊ । मानवता के उत्कर्ष के महान् मकसद से ‘मानवमित्र’ भूखे को भोजन, प्यासे को पानी, नंगे बदन को कपड़ा, अशिक्षित को शिक्षा, बीमार को दवाई, सम्यक अर्थव्यवस्था व त्वरित न्याय के जरिये मानव कल्याण हेतु सेवक होने का संकल्प है। 11 सितम्बर 1893 को शिकागो में हुई विश्व धर्म समिति में पारित प्रस्तावों को लखनऊ की ऐतिहासिक और क्रांतिकारी धरती पर विश्व के सभी धर्मों की प्रतिनिधियों द्वारा सर्वसम्मति से मानव कल्याण सेवा धर्म के तत्वावधान में लागू किये जाने हेतु विश्व धर्म संसद के आयोजन का संकल्प ‘प्रथम मानव मित्र’ के सम्मान के साथ लिया गया। मानवमित्र इस अभियान की धुरी है इन्सानियत की रक्षा के लिए भारी संख्या में ‘मानवमित्र’ बनकर जीवन की सार्थकता का आवाह्न किया गया।
राॅय उमानाथ बली प्रेक्षागृह के जयशंकर हाॅल में आयोजित मानवमित्र सम्मान समारोह में ईसाई धर्म के बिशप अंथोनी, गुरूद्वारा सदर के अध्यक्ष हरपाल सिंह जग्गी, भारतीय बौद्ध महासभा के प्रदेशाध्यक्ष जगजीवन प्रसाद, सनातन धर्म शंकराचार्य सरस्वती महाराज त्रिकाल भवन्ता की प्रतिनिधि प्रेमकला श्रीवास्तव आदि सभी धर्मों के अनुयायियों के साथ किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित, प्रबुद्ध अम्बेडकर क्लब के अध्यक्ष बी0डी0भारती महामंत्री के0पी0 चैधरी, प्रसिद्ध समाज सेवी पंचम लाल, प्रख्यात सामाजिक चिंतक डा0 नरेश सिंह, गिरीश अवस्थी प्रदेश अध्यक्ष भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन, वरिष्ठ रंगकर्मी मुन्नी देवी आदि ने सारगर्भित ढंग से अपने विचार व्यक्त किये। मानव कल्याण सेवा धर्म के प्रवर्तक मो0इकबाल द्धारा विस्तार से राष्ट्र के निर्माण में मानवता के पथ पर चलकर स्वर्णिम भारत बनाने के मंजिल की ओर चलने का संकल्प लिया और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, विदेश मंत्रीको लखनऊ में विश्व धर्म संसद आयोजित किये जाने हेतु सांसद कौशल किशोर के प्रयासों से अवगत कराया। समारोह में ‘प्रथम मानवमित्र’ का सम्मान भागीदारी आन्दोलन के राष्ट्रीय संयोजक पी0सी0 कुरील को सभी उपस्थित धर्म गुरूओं ने प्रदान किया।
समारोह की अध्यक्षता पूर्व निर्दलीय विधायक निर्वेन्द कुमार ‘‘मुन्ना’’ तथा संचालन महामंत्री एस0पी0 रावत द्वारा किया गया।