जन प्रतिनिधियों व अधिकारियों की जनता के प्रति जवाबदेही तय होः पिछड़ा समाज महासभा
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में नरेगा, शिक्षा, चिकित्सा व सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। यह सभी व्यवस्थाएं भ्रष्टाचार की शिकार हो चुकी है जिसका सारा लाभ ग्रामीण जनता के बजाय भ्रष्ट अधिकारियों व ग्राम प्रधानों को मिल रहा है। ग्रामीण जनता को इन तमाम योजनाओं का लाभ तभी मिल सकता है जब अधिकारियों व ग्राम प्रधानों को जनता के प्रति जवाबदेह बना दिया जाए। सरकार को चाहिए कि वह ग्रामीण जनता को ऐसे अधिकारों से लैस करे। जिससे वे अधिकारियों व ग्राम प्रधानों से सवाल जवाब कर सकें और उनकी स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लगा सकें।
उक्त विचार आज यहां जारी एक बयान में पिछड़ा समाज महासभा के अध्यक्ष एहसानुल हक मलिक व महासचिव शिव नारायण कुशवाहा ने व्यक्त किए हैं। गोंडा, बहराइच, बलरामपुूर आदि जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करके लौटे उपरोक्त दोनों नेताओं ने बताया कि शिक्षा के नाम पर चलने वाले सरकारी प्राइमरी स्कूलों की हालत यह है कि अध्यापक व शिक्षा मित्र हमेशा नदारद रहते है। वे पहले अपने घर व खेत के काम निपटाते है।फिर सिर्फ हाजिरी लगाने स्कूल आते है। इन स्कूलों मंे पढ़ने वाले बच्चे सिर्फ मिड डे मील का सेवन करने ही स्कूल आते हैं। यही कारण है कि पांचवी कक्षा के बच्चे को न तो पांच का पहाड़ा आता है न ही उसे यह मालूम है कि वह किस जिले व राज्य में निवास करता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वार्ड बाय और सफाई कर्मचारी के भरोसे चल रहे है। डाक्टर, नर्स व कंपाउंडर गाहे बगाहे ही दिखाई देते हैं। दवाएं सिरे से गायब रहती हैं। गांव में सफाईकर्मी तो हैं लेकिन वे सफाई करने नहीं आते जिससे नालियां बजबजाती रहती हैं और मच्छरों का साम्राज्य रहता है जिससे मलेरिया, जापानी बुखार आदि जैसी बीमारी फैलने के आसार बने रहते हैं।
नरेगा योजना में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि एक ही कार्य को दस बार किया हुआ दर्शाया जाता है जिसमें ग्राम प्रधान के कुछ खास व्यक्ति ही मजदूरी पाते हैं बाकी ग्रामीण जनता हाथ पे हाथ धरे बैठी रह जाती है।
दोनों नेताओं का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली उपरोक्त सभी योजनाओं व व्यवस्थाओं का लाभ ग्रामीण जनता को तभी मिल सकता है जब इन योजनाओं व व्यवस्थाओं का संचालन करने वाले कर्ताधर्ताओं को जनता के प्रति जवाबदेह बनाया जाएगा। सरकार को चाहिए कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी व्यवस्था कायम करे जो लागों को ऐसे अधिकार दे जिससे वे उक्त कर्ताधर्ताओं से सवाल जवाब कर सकें। भ्रष्टाचार मंे लिप्त अधिकारियों व ग्राम प्रधानों पर अंकुश लगाने के लिए जनता को उन्हें दंडित करने का अधिकार भी देना होगा। ये तमाम व्यवस्था और संचालक जब तक जनता से डरेंगे नहीं तब तक वे जनता के लिए कुछ करेंगे नहीं। जिससे जनता को उक्त योजनाओं व व्यवस्थाओं का कोई लाभ नहीं पाएगा।