बेटियाँ जब आगे बढ़ती हैं तो अच्छा लगता है: राज्यपाल
भातखण्डे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय का दीक्षान्त समारोह सम्पन्न
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज संत गाडगे प्रेक्षागृह में भातखण्डे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षान्त समारोह में छात्र-छात्राओं को उपाधि एवं पदक देकर सम्मानित किया। दीक्षान्त समारोह में पद्म विभूषण श्रीमती कुमुदनी लखिया मुख्य अतिथि थीं। समारोह में संस्थान की कुलपति श्रीमती श्रुति सडोलीकर काटकर सहित विद्वत परिषद के सदस्य एवं अन्य गणमान्य नागरिक व छात्र-छात्राएं उपस्थित थें।
राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भातखण्डे संगीत संस्थान व अन्य विश्वविद्यालयों में यह अंतर है कि भातखण्डे में विदेशों से छात्र-छात्राएं संगीत सीखने आते हैं जबकि अन्य विश्वविद्यालयों के छात्र विशेष विषयों को पढ़ने के लिए विदेश जाते हैं। यह विश्वविद्यालय संगीत से जुड़ा हुआ है इसलिए यहाँ चुनौतियाँ भी ज्यादा हैं। उपाधि प्राप्त करने वालों को कड़ी मेहनत करके अपना स्थान बनाना होगा। उन्होंने कहा कि दीक्षान्त समारोह में ली गयी प्रतिज्ञा को अपने जीवन में उतारें तो और ऊँचाई प्राप्त होगी।
श्री नाईक ने कहा कि संगीत की कोई भाषा नहीं होती। सभी भाषाओं का संगीत ‘सारेगामापा‘ में समाहित है, यही भारतीय संगीत की विशेषता है। कुछ दिन पूर्व लखनऊ महोत्सव में पाकिस्तान के प्रख्यात गजल गायक श्री गुलाम अली ने अपनी प्रस्तुति दी थी। लता मंगेशकर भारत की हैं और गुलाम अली साहब पाकिस्तान से हैं, लता मंगेशकर हों या गुलाम अली हों यह हिन्दुस्तान-पाकिस्तान की परिधि से परे हैं। पूरे विश्व के लोग इन्हें इनकी संगीत कला के कारण पंसद करते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय की पहचान कई मायनों में अलग है। यहाँ गुरू-शिष्य की परम्परा है। विद्यार्थियों का अपने बड़ों से आदर प्रकट करने का भाव भी जुदा है। विद्यार्थियों ने राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत कुछ इस अंदाज में प्रस्तुत किया कि उपस्थित श्रोतागण ने पूरा-पूरा साथ दिया। उन्होंने कहा कि दीक्षान्त समारोह में 17 लड़कियों को मेडल प्राप्त हुए हैं और केवल 10 लड़कों को ही मेडल मिले हैं। उन्होंने कहा कि बेटियाँ जब किसी क्षेत्र में आगे बढ़ती हैं तो अच्छा लगता है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद्म विभूषण श्रीमती कुमुद लखिया व कुलपति श्रीमती श्रुति सडोलीकर काटकर ने भी अपने विचार रखें।