लखनऊ: कायस्थ समाज को अपने समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों का मजबूती से सामना करने हेतु साम्प्रदायिकता, रूढ़िवादिता एवं विभाजनकारी ताकतों की साजिशों को नाकाम करते हुए प्रगतिशील एवं सर्वसमावेशी विकास के रास्ते पर चलना होगा। इसके लिए आवश्यक यह है कि चित्रांश समाज न सिर्फ स्वयं एकजुट हों वरन राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर उन वर्गों के साथ मिलकर आगे बढ़े जो हमेशा ही उनके साथ चलने में उत्साहित रहता है। यह विचार आज कायस्थ इंस्टीट्यूट एवं नानक शरण रतन प्यारी ट्रस्ट द्वारा गिरधारी सिंह इण्टर कालेज में आयोजित चित्रांश एकता एवं सद्भावना सम्मेलन में मुख्य अतिथि अनिल शास्त्री पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने व्यक्त किए। उन्होने कहा कि आज के राजनीतिक माहौल में स्व0 लाल बहादुर शास्त्री जैसा व्यक्तित्व नहीं उभर सकता।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता  प्रदीप माथुर ने कहा कि चित्रांश समाज जब तक राजनैतिक रूप से सक्षम नहीं  होगा तब तक इस समाज को अपना हक पाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी होगी। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग एक करोड़ कायस्थ हैं परन्तु कोई भी राजनीतिक दल उन्हें गंभीरता से नहीं लेता। आवश्यक है कि कायस्थों में मजबूत राजनीतिक शख्सियतों को समाज तन-मन-धन से समर्थन करे।

चित्रांश मित्र सम्मान से नवाजे गए रामकृष्ण द्विवेदी पूर्व मंत्री ने कहा कि चित्रांश समाज पढ़े लिखे लोगों का समाज है और शिक्षा, कानून एवं सरकारी सेवाओं में इस समाज ने सराहनीय योगदान दिया। उन्होने कायस्थों का आवाहन किया कि वे अपने बीच के राजनीतिक व्यक्तियों को ताकत दें।

कायस्थ इंस्टीट्यूट के महासचिव व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोध श्रीवास्तव ने कहा कि कायस्थ समाज को राजेन्द्र प्रसाद , लाल बहादुर शास्त्री, डा0सम्पूर्णानन्द, सुभाष चन्द्र बोस एवं मुंशी प्रेमचन्द जैसी महान विभूतियों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होने न सिर्फ देश की सेवा की वरन समाजसेवा एवं जनसेवा के सर्वोच्च मानदंड स्थापित किए। उन्होने कहा कि फिरकापरस्ती से कभी कायस्थों ने वास्ता नहीं रखा परन्तु आज हमारे ही समाज के कुछ लोग फिरकापरस्ती एवं धर्मांधता के जाल में खुद भी फंस रहे हैं और हमारे समाज को भी उस तरफ ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होने कहा कि जब हमारे महान सपूत अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे तब भी यह धर्मांध व फिरकापरस्त ताकतें अंग्रेजों के तलुए चाट रही थीं। हमे ंऐसी शक्तियों से सावधान रहना होगा। उन्होने कहा कि कायस्थ समाज को आज की दयनीय स्थिति से बाहर निकलने के लिए युवा जोश एवं हार्दिक पटेल जैसा एक नेतृत्व कायस्थ समाज में उभरना आवश्यक है। 

न्यायमूर्ति विष्णु सहाय ने भी कायस्थों को एकजुट रहकर समाज विरोधी शक्तियों से मुकाबला करने का आवाहन किया। इतिहासविद् योगेश प्रवीन ने लखनऊ की मिली जुली तहजीब पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम को मुकेश श्रीवास्तव विधायक ने भी सम्बोधित किया। वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व सूचना आयुक्त वीरेन्द्र सक्सेना ने कहा कि भारत की आजादी में कायस्थों का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।  

 इस अवसर पर कक्षा 10 व कक्षा 12 के लगभग 104 मेधावी विद्यार्थियों को रजत पदक देकर सम्मानित किया गया। 95प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले 6 विद्यार्थियों जिनमें कक्षा 12 के तुषार श्रीवास्तव, सत्यम श्रीवास्तव व घनश्याम श्रीवास्तव तथा कक्षा 10 के अंश शंकर, प्रत्यूश सक्सेना व अनुष्का श्रीवास्तव को विशेष पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। साथ ही न्यायमूर्ति विष्णु सहाय, इतिहासविद् योगेश प्रवीण, पत्रकार अतुल चन्द्रा व समाजसेवी श्रीमती सुरभि रंजन को उनकी अनुकरणीय सेवाओं के लिए सम्मानित भी किया गया। 

कार्यक्रम का संचालन विजय श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर लखनऊ की 19 चित्रांश संस्थाओं ने भागीदारी की।