पर्यटन के क्षेत्र में ब्राण्ड बनेगा यूपी: नवनीत सहगल
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नई पर्यटन नीति लागू की
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में पर्यटन की असीमित सम्भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए तथा प्रदेश को एक प्रमुख पर्यटन राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए नई पर्यटन नीति-2016 जारी की है। इस नीति के तहत, उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर पर्यटक अवस्थापना सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण किया जाएगा और पर्यटक स्थलों की प्रभावी मार्केटिंग करके उत्तर प्रदेश को एक ब्राण्ड के रूप में स्थापित करने पर जोर दिया जाएगा। यह नीति आगामी 5 वर्षाें तक प्रभावी रहेगी।
यह जानकारी आज यहां प्रमुख सचिव, पर्यटन नवनीत सहगल ने देते हुए बताया कि उत्तराखण्ड के विभाजन के बाद उत्तर प्रदेश के पर्यटन उद्योग को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मानचित्र पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के लिए पर्यटन सम्बन्धी गतिविधियों को बहुआयामी रूप देना जरूरी हो गया है। आधुनिक जीवन शैली तथा बढ़ती हुई आमदनी के कारण लोग पर्यटन की ओर रुख कर रहे हैं। आज का पर्यटक रोज नए गंतव्य स्थलों तथा नए आकर्षणों की खोज में है। इसके मद्देनजर रखते हुए राज्य सरकार ने एक सुव्यवस्थित नई पर्यटन नीति बनाई है।
पर्यटन नीति के प्रमुख बिन्दुओं की जानकारी देते हुए श्री सहगल ने कहा कि वर्तमान दौर में उत्तर प्रदेश देश के राज्यों में सबसे अधिक पर्यटन आगमन प्राप्त करने वाला राज्य बन चुका है। वर्ष 1998 में प्रदेश में आने वाले 7.27 लाख विदेशी पर्यटकों की संख्या वर्ष 2014 तक बढ़कर लगभग 29.09 लाख हो चुकी है। विगत वर्षों से इण्टरनेट तथा डिजिटल मीडिया में नए प्रयोग के कारण भी पर्यटन जगत में बड़ा बदलाव आया है।
पर्यटन नीति प्रख्यापित करने के उद्देश्यों की जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पर्यटकों के आने से प्रदेश की आर्थिक उन्नति होगी और लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उत्तर प्रदेश की पर्यटन की क्षमता को अधिक से अधिक दोहन के लिए इस नीति के तहत, पर्यटन स्थलों पर अवस्थापना समेत मूलभूत सुविधाओं के सृजन पर विशेष जोर दिया जाएगा। आम जनता में पर्यटन के प्रति जागरुकता एवं संवेदनशीलता विकसित की जाएगी। साथ ही, उत्तर प्रदेश भ्रमण को पर्यटकों के लिए एक सुःखद अनुभव बनाया जाएगा। इसके लिए सूचना संचार एवं आधुनिक माध्यमों का भरपूर उपयोग किया जाएग।
पर्यटन नीति के तहत रेल, वायु एवं सड़क परिवहन सुविधाओं को बेहतर बनाने, पर्याप्त होटल कक्षों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने, पर्यटन क्षेत्र में प्रशिक्षित व कुशल कर्मियों की कमी को दूर करने, पर्यटन स्थलों को साफ-सुथरा बनाने, उत्तर प्रदेश को एक सुरक्षित पर्यटन डेस्टिनेशन के रूप में प्रस्तुत करने तथा पर्यटकों को लपकों आदि के शोषण से बचाने जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए विशेष रणनीति अपनाई जाएगी। पर्यटन को इस प्रकार विकसित किया जाएगा कि स्थानीय जनसमुदाय पर्यटन से जुड़ सके और पर्यटन उनके लिए जीविकोपार्जन का मुख्य साधन बन सके।
प्रमुख सचिव ने नई नीति की अन्य विशेषताओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पर्यटन अवस्थापना सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए पर्यटन स्थलों पर विश्वस्तरीय सुविधाओं का सृजन किया जाएगा। इसमें निजी क्षेत्र की भी सहभागिता ली जाएगी। सड़क मार्गाें पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के साइनेज स्थापित किए जाएंगे, जिससे पर्यटकों को आवागमन में किसी तरह की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।
श्री सहगल ने बताया कि पर्यटकों को प्रदेश में भ्रमण के लिए बस से यात्रा के लिए पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम एवं निजी संस्थाओं के साथ मिलकर पर्यटकों के लिए प्रमुख पर्यटन स्थलों पर भ्रमण हेतु अन्तर्जनपदीय भ्रमण की व्यवस्था सुनिश्चित कराएगा। हाॅप-आॅन तथा हाॅप-आॅफ जैसी विशेष पर्यटन बस सेवाएं पर्यटन स्थलों में संचालित की जाएंगी। वर्तमान में रेल परिवहन के अन्तर्गत शताब्दी एक्सप्रेस से केवल लखनऊ व आगरा जैसे गंतव्य नई दिल्ली से जुड़े हैं।
राज्य सरकार प्रयास करेगी कि अन्य महत्वपूर्ण स्थल जैसे वाराणसी, गोरखपुर आदि को भी तीव्र रेल-सेवाओं से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से जोड़ा जा सके। आगरा-लखनऊ-वाराणसी परस्पर शताब्दी ट्रेन के माध्यम से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। इस नीति के तहत ऐसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों हेतु पर्यटक ट्रेनों की व्यवस्था की जाएगी, जो अभी तक रेल मार्गाें से जुड़े नहीं है। इनमें मथुरा-वृन्दावन, दुधवा पार्क, आगरा-फतेहपुर सीकरी आदि शामिल हैं।
प्रमुख सचिव ने बताया कि पर्यटन नीति के तहत नए पर्यटक स्थलों को चिन्हित कर पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। वर्ष 1998 की पर्यटन नीति में 7 परिपथ पर्यटन विकास हेतु चिन्हित किए गए थे। इनको पुनर्गठित करते हुए इनमें नए आकर्षण जोड़े जाएंगे। वर्ष 1998 की पर्यटन नीति में चयनित परिपथ जैसे बृज, बुन्देलखण्ड, बौद्ध, विन्धय, अवध, वन, ईको एवं साहसिक पर्यटन जन विहार परिपथ शामिल हैं, चिन्हित किए गए थे। इस नई नीति में 7 नए परिपथ-हेरिटेज आर्क, महाभारत, जैन, सूफी, स्वतंत्रता संग्राम परिपथ तथा क्राफ्ट, क्यूजीन एवं कल्चर ट्रेन भी जोड़े जाएंगे।
श्री सहगल ने बताया कि पर्यटन नीति के तहत, पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कुशल कार्मिकों की व्यवस्था के साथ ही, प्रदेश के पिछड़े इलाकों में पर्यटन उद्योग उपक्रम लगाने हेतु स्थानीय जनसमुदायों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा। पर्यटन प्रबन्धन संस्थान को उच्चीकृत कर प्रदेश में पर्यटन प्रशिक्षण हेतु नोडल एजेन्सी बनाया जाएगा। इसके साथ ही, विश्वविख्यात पर्यटन विद्यालयों से तकनीकी विशेषज्ञों को आमंत्रित कर मानव संसाधन के विकास में उनका योगदान लिया जाएगा। निजी क्षेत्र के साथ मिलकर अवध, वाराणसी, बुन्देलखण्ड एवं रूहेलखण्ड क्षेत्रों में 4 नए प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाएंगे।
श्री सहगल के अनुसार नीति के तहत, होटल कक्षोें की कमी दूर की जाएगी। जहां आवासीय कक्षों की कमी है, वहां सरकारी परिसम्पत्तियों को चिन्हित कर पर्यटकों के उपयोग में लाया जाएगा। इसके अलावा, नगरों की महायोजना में सभी प्रकार के भू-उपयोगों के अन्तर्गत होटल निर्माण अनुमन्य किए जाएंगे। होटल निर्माण के लिए भूखण्डों के चयन में पर्यटन विभाग का परामर्श लिया जाएगा। इसके साथ ही, धार्मिक पर्यटन के विकास तथा विरासत के स्थलों को संरक्षित किया जाएगा, जिसे धार्मिक स्थलों पर पर्यटकों की धार्मिक यात्रा सुःखमय हो सके।
प्रमुख सचिव ने बताया कि हेरिटेज जोन के चिन्हीकरण तथा बाय-लाॅज बनाने के लिए गठित कमेटी को पुनर्जीवित किया जाएगा, जिसमें प्रमुख सचिव/सचिव, पर्यटन के अलावा 8 सदस्य तथा महानिदेशक पर्यटन सदस्य संयोजक होंगे। विरासत के महत्व के भवन को हेरिटेज होटल की अनुमन्यता हेतु ही नीति में व्यापक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इन निर्देशों के तहत, परियोजना प्रस्ताव के परीक्षण एवं नियमित अनुश्रवण हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय समिति का गठन का प्रस्ताव है। परियोजना प्रस्ताव के अनुमोदन हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च समिति के गठन करने का भी प्रस्ताव है।
श्री सहगल ने बताया कि इस पर्यटन नीति के तहत, विरासत विकास कोष की स्थापना, पर्यटन प्रोत्साहन परिषद का गठन भी किया जाएगा। पर्यटन उद्योग से जुड़ी समस्याओं के निराकरण हेतु एकल मेज प्रणाली व्यवस्था और प्रभावी बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि नीति के तहत, होटल उद्योग को सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। शहरी क्षेत्र में होटल निर्माण हेतु उद्यमियों द्वारा समस्त औपचारिकताओं सहित मानचित्र प्रस्तुत करने के 90 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से प्राधिकरण द्वारा नक्शा पास करने की व्यवस्था रहेगी। पर्यटन उद्योग को उद्योग का दर्जा दिया जाएगा एवं उद्योगों को अनुमन्य समस्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
प्रमुख सचिव ने बताया कि पर्यटकों के लिए उत्तर प्रदेश भ्रमण एक सुरक्षित एवं सुःखद अनुभूति बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए उत्तर प्रदेश की छवि को निखारा जाएगा। पर्यटकों की सहायता के लिए एक पर्यटक हेल्पलाइन नं0 24ग7 स्थापित की गई है। इस पर हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा प्रमुख विदेशी भाषाओं में भी वार्तालाप की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। पर्यटन पुलिस की संख्या बढ़ाकर सभी महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों पर इनकी तैनाती की जाएगी। देशी-विदेशी नगरों में रोड शो आयोजित कर प्रदेश की छवि निखारने का प्रयास किया जाएगा। पर्यटन क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रोत्साहित करने के लिए राज्यस्तरीय पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
श्री सहगल ने बताया कि नीति के तहत, उत्तर प्रदेश को पर्यटन के क्षेत्र में एक ब्राण्ड के रूप में स्थापित करने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इसके तहत, हेरिटेज आर्क के समीपवर्ती 26 जनपदों में पर्यटन स्थलों का सौन्दर्यीकरण भी किया जाएगा। इसके अलावा, वैकल्पिक पर्यटन के विकास, ईको तथा वाइल्ड लाइफ, साहसिक, सांस्कृतिक, क्राफ्ट पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देकर पर्यटन उद्योग से जुड़ी रोजगारपरक सम्भावनाओं को विकसित करने के लिए 10 लाख रुपये तक के अनुदान की व्यवस्था लागू की जाएगी।
प्रमुख सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश योग एवं आयुर्वेद का जनक रहा है। प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां आज भी यहां मौजूद हैं। इसलिए स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सभी पद्धतियों का डाटाबेस तैयार करने के साथ ही, केन्द्रों को प्रोत्साहित करने के लिए ऋण अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा, थीम पार्क, एम्यूजमेण्ट पार्क, वाटर पार्क आदि को बढ़ावा देने के लिए मनोरंजन कर एवं सुःख साधन कर से 5 वर्ष के लिए छूट प्रदान की जाएगी।
श्री सहगल ने बताया कि नीति-2016 के तहत, खेल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। पर्यावरण की रक्षा एवं स्थानीय जनसमुदाय को लाभान्वित करने के उद्देश्य से उत्तरदायित्वपूर्ण पर्यटन के विकास पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही, पर्यटकों की सुरक्षा एवं शोषण से रक्षा के लिए एक विशेष एक्ट लाया जाएगा, जिसके तहत पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों को परेशान तथा पीछा करने वाली गतिविधियों को दण्डनीय बनाया जाएगा। इसके अलावा, पर्यटन विभाग के मौजूदा ढांचे को सुदृढ़ किया जाएगा ताकि पर्यटन विकास की गति तेज हो सके। साथ ही, पर्यटन निगम को सुदृढ़ीकरण भी किया जाएगा।