शोध छात्र अनिल यादव को प्रताडि़त करने वाले संघ के सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ दर्ज हो मुकदमा- रिहाई मंच
लखनऊ । रिहाई मंच कार्यालय में हुई बैठक में राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने मांग की कि शोध छात्र अनिल यादव को मुजफ्फरनगर संघ कार्यालय में प्रताडि़त करने वाले सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दोषियों की गिरफ्तारी की जाए। बैठक में देश में बढ़ रही जातीय व सांप्रदायिक हिंसा पर चिंतन करते हुए लखनऊ में जल्द इंसाफ पसन्द व्यक्तियों व संगठनों के साथ राज्य स्तरीय बैठक करने का निर्णय लिया गया। मंच ने मांग की कि मौजूदा विधान सभा सत्र में मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पर गठित जस्टिस सहाय कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए दोषियों के खिलाफ कारवाई की जाए।
बैठक को संबोधित करते हुए रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने कहा कि जिस तरह शोध छात्र अनिल यादव को संघ के सांप्रदायिक जेहनियत के लोगों ने सिर्फ दाढ़ी व मोबाइल में मुस्लिमों के फोन नंबर रखने के लिए प्रताडि़त किया यह घटना बताती है कि 2013 में भाजपा-सपा ने मुजफ्फरनगर में जो आग लगाई थी वह अभी शांत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि जब सपा के लोग कहते हैं कि मुजफ्फरनगर के लिए भाजपा दोषी है तो आखिर में उन दोषियों को सजा देने के लिए सहाय कमीशन की रिपोर्ट को वह क्यों नहीं सार्वजनिक कर रही है। उन्होंने कहा कि मुसलमान और इंसाफ पसन्द अवाम यह जान रही है कि जो मुलायम बाबरी मस्जिद प्रकरण को लेकर अब अफसोस जता रहे हैं वह मुजफ्फरनगर के दंगाईयों को सिर्फ इसलिए बचा रहे हैं कि उन्हें फिर से अफसोस न करना पड़े।
इंसाफ अभियान के महासचिव दिनेश चैधरी ने कहा कि शोध छात्र अनिल यादव की जगह अगर कोई मुसलमान शोध छात्र होता तो यही पुलिस आरएसएस के गुण्डों के कहने भर से उसे आईएसआईएस या आईएसआई से जोड़कर जेल भेज बड़ा आतंकी करार दे देती। लेकिन घटना के दो दिन बीत जाने के बाद भी संघ के सांप्रदायिक तत्वों नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष, अनुभव शर्मा के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज न होना सपा की संघी सांठगांठ को उजागर करता है। उन्होंने मांग की कि जल्द के जल्द दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी नहीं की गई तो इंसाफ पसन्द अवाम को सड़कों पर उतरने के लिए सरकार मजबूर करेगी।
रिहाई मंच नेता शबरोज मोहम्मदी ने कहा कि सपा सरकार ने चुनावी वादा किया था कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई और पुर्नवास व मुआवजा देगी। सरकार अपने कार्यकाल के चैथे साल का अंतिम सत्र चला रही है पर जिस तरीके से वह मौन है ठीक उसी तरीके से उसके प्रति मुस्लिम समाज भी मौन है, ऐसी गलतफहमी अखिलेश यादव ने अगर पाली है तो 2017 में मुसलमान इसका जवाब देगा। उन्होंने मांग की कि सरकार मरहूम मौलाना खालिद और तारिक की गिरफ्तारी पर गठित निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे।
नागरिक परिषद के रामकृष्ण ने कहा कि जिस तरीके से बेगुनाहों के छूटने के बाद भी उनको जमानत लेना पड़ रहा है वह दरअसल हमारी व्यवस्था का अपने नागरिकों पर कोई भरोसा नहीं है की पुष्टि करता है। जो अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि जमानत के पूरी प्रक्रिया को बदल कर सिर्फ देश के नागरिक होने के किसी भी पहचान पत्र पर जमानत देने की व्यवस्था बनाई जाए।
समाज सेवी अखिलेश सक्सेना ने कहा कि विकास के नाम पर जो केन्द्र सरकार ने जो भ्रम बेचा था उसे ही अखिलेश यादव भी बेचने लगे हैं। पर अखिलेश को यह जान लेना चाहिए कि भ्रम का बाजार एक बार चलता है बार-बार नहीं। उन्होंने कहा कि मैट्रो के नाम पर जिस तरीके से ठेला-पटरी के दुकानदारों को बिना कोई मुआवजा या पुर्नवास किए भगा दिया जा रहा है वह अखिलेश का गरीब विरोधी समाजवाद को उजागर करता है। एक तरफ बुंदेलखंड से लेकर पूरे सूबे के किसान आत्म हत्या करने को मजबूर है वहीं हाई वे के नाम पर किसानों की सिंचित जमीनोें का भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है।