लखनऊ: आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के आवाह्न पर हज़रत मख्दूम शाहमीना से मेडिकल कालेज स्थित आस्ताने हाजी हरमैन शाह तक जुलूस-ए-गौसिया निकाला गया।  जुलूस-ए-गौसिया की कयादत काज़ी-ए-शहर मुफती अबुल इरफान मियाँ फिरंगी महली व हज़रत सैÕयद अयूब अशरफ किछौछवी राष्ट्रीय अध्यक्ष आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन ने की। जुलूस-ए-गौसिया निकलने से पूर्व जश्न-ए-गौसुलवरा का आयोजन आस्ताने हज़रत मख्दूम शाहमीना में किया गया जश्न-ए-गौसिया की शुरूआत कारी गुलाम सुब्हानी जि़याई अशरफी ने तिलावते कुआॅन-ए-पास से की नात व मंनकबत का नज़राना मौलाना जाकिर हुसैन व कारी मुईनुद्दीन आदि ने पेश की निज़ामत के फराएज़ मौलाना ज़ाकिर हुसैन अशरफी ने अन्जाम दिया जश्न-ए-गौसुलवरा को सम्बोध्ति करते हुए आॅल इण्डिया मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद अयूब अशरफ किछौछवी ने हज़रत गौसुल सकलैन कुतुब-ए-रब्बानी महबुबे सुबहानी गौसुल आज़म मुहिद्दीन शेख सैयद अब्दुल कादिर जिलानी बडे़ पीर दस्तगीर की हयाते तैयाबा पर रोशनी डालते हुए कहा कि आपकी जि़न्दगी उम्मते मुसलेमा के लिए मशअले रह है और उन्होंने न सिर्फ दीन की बल्कि मख्लूक-ए-खुदा की बेपनाह खिदमत की। जिसकी वजह से आज पूरी दुनिया में उनके मानने व चाहने वाले मौजुद है। श्री अशरफ ने कहा कि अपने देश से सच्ची मोहब्बत और उसकी हिफाज़त करने वाले ही इस्लाम के सही रहनुमा है जश्न-ए-गौसिलवरा में श्री अशरफ ने कहा कि हम सभी हिन्दुस्तानियों को आने वाले गणतंत्रा दिवस के मौके पर अपनी सभी सामाजिक, कारोबारी, धर्मिक एवं शैक्षिक संस्था पर राष्ट्र ध्वज फराना चाहिए। 

काज़ी-ए-शहर मुफती अबुल इरफान मियाँ फिरंगी महली ने कहा कि वलियों के सरदार हज़रत पीर शेख अब्दुल कादिर जि़लानी ने दुनिया-ए-ईस्लाम को सच्चाई और इमानदारी का पैगाम दिया यही वजह है कि आज उनके मानने वाले उनकी जिन्दगी की उन वकयात से सबक हासिल करते है।

श्री सैयद मोहम्मद अहमद मियाॅं किछौछवी ने सभी आये हुए अन्जुमनों, शासन/प्रशासन के लोग, ओलमा-ए-एकराम तथा मीडिया बन्ध्ुओं का शुक्रिया अदा किया। जुलूस-ए-गौसिया का हाजी हरमैन शाह पहुचने के बाद सलातो सलाम व दुआ तथा लगंर के बाद समापन हुआ। जुलूस-ए-गौसिया में इण्डिया मोहम्मदी मिशन के पदाधिकारी जनाब मुम्ताज़ खान, शाकिर अली मीनाई, सैयद इकबाल हाशमी, फैजान अतीक फिरगी महली, सैयद अहमद नदीम,  सैयद मोहम्मद हाशिम, सैयद मोहम्मद अरशद, मोहम्मद अली आरिफ नक्शबन्दी, अब्दुल मन्नान मुशाहदी, सैयद जुनैद अशरफ, मौलाना मुन्नवर हुसैन, कारी ज़ाकिर अत्तारी, सैयद हम्माद अशरफ, मोहम्मद जिलानी, मौलाना अमान अतीक, कारी आरिफ रज़ावी, आदि के साथ ही साथ तमाम आईमा-ए-मसाजिद व ओलमा-ए-एकराम आदि मौजूद थे।