लखनऊ  : ईरान पर लगाए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के अंत का स्वागत करते हुए मजलिसे उलमाये हिन्द के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि अमेरिका और उसकी सहयोगी शक्तियों ने केवल इस आधार पर ईरान पर प्रतिबंध लगाये थे कि वह परमाणु बम बना रहा है और दुनिया के लिए बड़ा खतरा है जबकि ईरान ने अपना रुख का विवरण पहले ही कर दिया था कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिये है। वहीं आयात उल्लाह सैयद अली खामेनई का फतवा भी इस मुद्दे पर आ चुका था कि सामूहिक और मानव हत्या के लिए हथियार बनाना हराम है ।क्योंकि परमाणु बम सैनिकों को मारने के लिए नहीं बनाया जाता है बल्कि सामूहिक इन्सानी हत्याओं के लिए बनाया जाता है जिसमें सिर्फ जनता को निशाना बनाया जाता है इसकी अनुमति इस्लाम में नहीं है। मौलाना ने कहा कि ईरानी सरकार और जनता ने अपने सब्र और धैर्य द्वारा अत्याचार और उत्पीड़न का मुकाबला किया और जीत हासिल की। जहां ईरानी नेतृत्व सराहनीय है वहीं ईरानी जनता का सब्र व धैर्य भी सराहनीय है। मौलाना ने कहा कि भारत में अभी प्याज की कीमतें इतनी ज्यादा बढ़ गईं थीं कि सरकार हिल कर रह गई थी मगर ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध था तो उसकी जनता और सरकार पर उसके कितने गहरे प्रभाव हुए होंगे यह विचारणीय है।

मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक चरित्र को सुनिश्चित बनाए जाने पर जोर देते हुए कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक चरित्र को सरकार सुरक्षित करे है। अलीगढ़  विश्वविद्यालय मुसलमानों का दिल है और दिल का सुरक्षित रखना आवश्यक होता है। मौलाना ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह अलीगढ़ जैसे मानक संस्थान के अल्पसंख्यक चरित्र को सुरक्षित करे और इसके लिये  सकारात्मक कदम उठाये। अलीगढ़ मुस्लिम  विश्वविद्यालय से पढ़कर निकलने वाले छात्र दुनिया में भारत का नाम रोशन करते रहे हैं और करेंगे। एक ही समय में भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे जनरल अय्यूब और डॉ जाकिर हुसैन अलीगढ़ विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके थे। मुस्लिम विश्वविद्यालय पूरी दुनिया में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है इसलिए विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक चरित्र को सुरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है।