मुंबई: शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रिटिश सरकार से सीख लेने की नसीहत दी है, जिसने ब्रिटेन में अपने पति के साथ ‘जीवनसाथी वीजा’ पर रह रहीं महिलाओं को अंग्रेजी न बोल पाने पर उनके देश वापस भेजने की चेतावनी दी है। शिवसेना ने यह भी कहा है कि भारत के मदरसों में पढ़ाई के माध्यम के रूप में उर्दू और अरबी का इस्तेमाल बंद किया जाना चाहिए और उनका स्थान अंग्रेजी या हिंदी को दिया जाना चाहिए।

सत्ताधारी गठबंधन के सहयोगी दल ने प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों पर यह कहते हुए भी तंज कसा कि वे दूसरे देशों की यात्रा करके निवेश लाने में तो सफल हो सकते हैं, लेकिन देश के भीतर मौजूद दुश्मनों से लड़ने के लिए साहस कहां से आएगा? शिवसेना ने यह भी कहा कि सरकार को साहस दिखाना चाहिए और समान नागरिक संहिता लागू करनी चाहिए और अयोध्या में राममंदिर का निर्माण शुरू करवाना चाहिए।

पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘ब्रिटिश सरकार यदि यह सोचती है कि इस्लामिक स्टेट के आतंकी अपने विचारों को भरने के लिए अनपढ़ मुस्लिम महिलाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं…तो वह गलत नहीं सोचती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रितानी सरकार से सीख लेनी चाहिए।’

संपादकीय में कहा गया, अगर सरकार ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की तरह साहस दिखाए तो भारत को लाभ हो जाएगा। मदरसों में उर्दू और अरबी में कराई जाने वाली पढ़ाई को बंद करके उसकी जगह अंग्रेजी और हिंदी में पढ़ाई लागू की जानी चाहिए।

शिवसेना ने कहा, सिर्फ हमारे प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि अन्य मंत्री और नेता भी विदेशी दौरों पर जाते रहते हैं और उद्योगों, व्यापार, कौशल, संस्कृति को भारत में लेकर आने की बात करते रहते हैं। हम निश्चित तौर पर इसमें सफल होंगे, लेकिन देश के भीतर मौजूद दुश्मनों से लड़ने के लिए हम साहस कहां से लेकर आएंगे?