मुलायम से मिलने गए फरियादियों को पुलिस ने भगाया
स्वागत अधिकारी पर पैसे लेकर मुलाकात कराने का आरोप
सुघर सिंह
मुलायम सिंह यादव के प्रेम और सादगी किसी से छिपी नहीं है ये वही मुलायम सिंह यादव है जो हजारों की भीड़ से अपने लोगो को नाम लेकर संबोधित करते है और उसके साथ गुजरे पलो को याद करके संघर्ष के दिनों की याद करते है और भावुक भी हो जाते है कि किस तरह राजनीति के पायदान पर उन्होंने आज मुकाम हासिल किया है उनकी इसी सादगी की वजह से मुलायम सिंह यादव की गिनती देश के ही नहीं दुनियां के बड़े नेताओं के रूप में की जाती है। नेता किसी भी पार्टी का हो लेकिन सपा मुखिया सादगी के आगे सभी बौने दिखते है और नतमस्तक हो जाते है पहलवान मुलायम सिंह यादव को देखकर।
लेकिन सपा मुखिया के आवास पर स्वागत कक्ष पर तैनात ताराचंद्र मिलने आये फरियादियो को उल्टे पैर लौटा देता है यही नहीं अगर कोई अपना विजिटिंग कार्ड देता है तो उसे लौटा दिया जाता है और कह दिया जाता है कि नेता जी पार्टी ऑफिस में मिलेंगे और जब पीड़ित पार्टी कार्यालय जाता है तो उसे बोल दिया जाता है नेता जी आज यहाँ नहीं आएंगे आवास पर मिलेंगे और फरियादी आवास से पार्टी कार्यालय व पार्टी कार्यालय से ऑफिस के चक्कर काटता रहता है। हम ये बात किसी आम इंसान की नहीं कर रहे है। हम बात कर रहे है सपा मुखिया के पुराने मित्र, पुराने पार्टी के कार्यकर्ताओं की और प्रदेश सरकार के रिटायर चहेते अधिकारी की जिसे मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री जी दिन में 1 बार अपने आवास पर जरूर बुलाते थे आज वो अधिकारी कई दिन से सपा मुखिया के आवास के चक्कर काट रहा है।
मामला गुरूवार लगभग 12 बजे का है कई महिला व पुरुष सपा मुखिया के आवास पर आते है और ताराचंद्र के पास खबर भेजने को कहते है कि हम लोगो को आज तो नेता जी से मिला दो क्योंकि वही ऐसे नेता है जो हमारी बात सुन सकते है और मदद कर सकते है उन फरियादियो को जवाब मिला कि नेता जी दिल्ली में है और 2 दिन बाद आएंगे। जबकि उस समय नेता जी अंदर थे और मंत्री मनोज पाण्डेय, सेवानिवृत डीजीपी देवराज नागर, मैनपुरी के एक अध्यापक समेत लगभग 20 से अधिक लोग मिलकर निकले। इसी बात पर 15-20 महिला पुरुष सपा मुखिया के आवास पर धरने पर बैठ गए और ताराचंद से मिलने की जिद्द करने लगे कि बाहर आकर मिले, 10 दिन से क्यों बेबकूफ बनाया जा रहा है क्यों झूठ बोला जा रहा है कि नेता जी दिल्ली है अगर नेता जी दिल्ली है तो आवास के अंदर से ये लोग किससे मिलकर लौट रहे है। उनको धरती पर बैठा देखकर उनके पास जाकर बातचीत की तो पता चला कि ये सभी पुलिस के दिवंगत कर्मचारियों के आश्रित है। जो कि पुलिस विभाग में अनुकम्पा के आधार पर सेवायोजित होने के लिए आवेदन की स्थित पर सभी शर्तों और नियमो के अनुसार योग्यता रखते है
बातचीत में उन्होंने बताया कि हम मृतक आश्रितों के किये गए आवेदन और सभी जाँच और परीक्षण के बाद नयी नियमावली लागू करके मृतक आश्रितों को दिए जाने वाले लाभ से वंचित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में मृतक आश्रितों को योग्यतानुसार नियुक्त करना सपा मुखिया के द्वारा ही शुरू किया गया था। किन्तु विभाग के हम आश्रितगणो में से लगभग 400 लोगो को पूर्व प्रचलित 1974 की नियमावली से नियुक्त कर प्रशिक्षण के लिए भेज दिया गया जब की शेष के लिए 24 नबम्बर 2015 को नयी नियमावली जारी करके हमारे लिए आयु व शक्ति के प्रतिकूल संकट पैदा कर दिया है। अब इसमें सिर्फ सपा मुखिया से ही अब मदद की उम्मीद है हम लोग कई दिनों से सपा मुखिया के आवास पर आ रहे है लेकिन स्वागत अधिकारी मुलाकात नहीं करा रहा है अगर हम लोगो की बात नेता जी तक पहुँच जाती तो ऐसा हो ही नहीं सकता की नेता जी न मिलते लेकिन जानबूझकर हम लोगो की मुलाक़ात नहीं करायी जा रही है हम लोग जीपीओ पार्क पर धरने पर बैठे है।
इन फरियादियो को सपा मुखिया से मिलाना तो दूर बल्कि उनको दूर तक भगाने का आदेश दे दिया। ताराचंद्र का आदेश मिलते ही पुलिस हरकत में आ गयी और फरियादियो को धमकाकर हटा दिया और कहा कि अगर नहीं हटे तो जेल भेज दूंगा। बस फिर क्या पुलिस की गाडी और 20 जवान उन फरियादियो को गाली देते हुए धमकाते हुए दूर तक ले गए ताकि न्याय पाने की आस में ये फिर सपा मुखिया के आवास पर न आ जाये।
ये है ताराचन्द का पर्दे के पीछे का चेहरा। सपा मुखिया के आवास पर कई लोगो ने तो यहाँ तक कह दिया की अगर ताराचंद की मुठ्ठी गरम कर दी जाए तो तुरंत अंदर अपने चेम्बर में बैठा लेगा और मुलाकात करा देगा। वरना 1 दिन क्या 1 साल में भी सपा मुखिया से नहीं मिल सकते।