साहित्य, संगीत कला का संगम बना बुक फेयर
शताब्दी गायक मोहम्मद रफी को जेपी, सुष्मित, निधि की संगीतांजलि
लखनऊ: उपन्यासत्रयी यषपाल, भगवतीचरण वर्मा व अमृतलाल नागर, चित्रकार रणवीर सिंह बिष्ट, संगीतकार नौशाद के इस शहर के पुस्तक मेले में भी साहित्य, कला और संगीत का संगम देखने को मिल रहा है। मेले के स्थानीय स्टाल में नवाबी शहर के रचनाकारों की किताबें हैं तो आज एन खन्ना ने कला विषयक वार्ता में विधाओं के अंतर्सम्बंधों पर विचार रखे, वहीं आरजे जेपी, सुष्मितव निधि ने शताब्दी गायक मुहम्मद रफी को जन्मदिन पर उनके गीतों की सुंदर सुरांजलि पेशकर वाहवाही पाई।
मोतीमहल वाटिका लान राणप्रताप मार्ग में चल रहे लखनऊ पुस्तक मेले में स्थानीय लेखकों के स्टाल में राजकृश्ण मिश्र के उपन्यास कमलिनी, नियति चक्र, द कन्वर्ट्स, दारुलशफा जैसी कई किताबें हैं। इनके साथ ही अट्ठहास पत्रिका और डा.मधु चतुर्वेदी, महेन्द्रनाथ गोयल, डा.निर्मला सिंह निर्मल, रत्ना बापूली, इन्द्रासन सिंह इन्दु, डा.पंकजलता श्रीवास्तव, शिवशंकर, चक्रधर नलिन व ऊषा चौधरी जैसे अनेक रचनाकारों की विभिन्न विषयों पर प्रेरक पुस्तकें हैं। रोहित, विनीता और अस्मिता की तरह रोज़ ही सैकड़ों लोगों में खुशियां बांट रहा है।
उत्तरार्ध से आगे बढ़ चुके पुस्तक मेले में क्रिसमस संध्या पर आज आठवें दिन खूब चहल-पहल रही। शाम को मोहम्मद रफी की 91वीं वर्षगांठ पर आरजे जेपी पाण्डेय, आरजे सुष्मित त्रिपाठी के संग गायिका निधि निगम ने ‘मेरे महबूब तुझे….., एहसान तेरा होगा……, ये दुनिया ये महफिल….., दीवाना हुआ बादल……, आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे…., लाखों हैं निगाहों में….. और तुझकों पुकारे मेरा प्यार…..’ जैसे नगमें सुनाकर लोगों को रफी के संगीत का बीता सुनहरा जमाना याद आ गया। गोमती एजेन्सीज के सौजन्य से अखिलेश ने सुंदर संचालन करते हुए रफी के बारे में बताया वहीं, म्यूजि़क अरेंन्जर आशीष की मेहनत भी स्पष्ट झलकी। आज के प्रमुख साहित्यिक आयोजन में समारोह में बोधि प्रकाशन जयपुर द्वारा प्रकाशित साहित्यकार शीला पाण्डे के गीत संग्रह ‘रे मन गीत लिखूं कैसे’ कार्यक्रम में हिन्दी संस्थान के कार्यकार्री अध्यक्ष उदयप्रताप सिंह, डा.सूर्यप्रसाद दीक्षित, व्यंग्यकार गोपाल चतुर्वेदी के साथ ही डा.अनिल मिश्र, मधुकर अस्थाना व महेन्द्र भीष्म शामिल हुए। भूपेन्द्र के संचालन में कलास्रोत द्वारा संयोजित कला व साहित्य के अंतर्सम्बंधों पर सचित्र व्याख्यान में वरिष्ठ चित्रकार एन.खन्ना ने कहा कि वैदिक धर्म का विकास कला व साहित्य के आधार पर ही हुआ है। इससे पहले दिन में मंच पर अगीत परिशद की ओर से त्रिवेणीप्रसाद दुबे, ओमप्रकाश अग्रवाल, देवेश द्विवेदी, डा.मंजू शुक्ला, वाहिद अली वाहिद, सुनील बाजपेयी, शीला पाण्डे, आदित्य चतुर्वेदी, पार्थो सेन, कुमार तरल व संयोजक डा.रंगनाथ मिश्र सत्य आदि ने काव्यपाठ किया।
बाल व नवयुवा मंच पर ज्योति किरन रतन के संचालन में चले कार्यक्रम व ड्राइंग इत्यादि की प्रतियोगिताओं में वंदिता झा, मृदुल, चैतन्य पाण्डेय, चिन्मय, जयंतिका, अंशुमान सिंह , अवंतिका, रूपम, आर्यवर्धन पाण्डे, तुशिता इना,अनिषा, यथार्थ गांधी व सत्येन सिंह आदि ने भाग लिया।