जुलूस मदह-ए-सहाबा में अमन व शान्ति का ख्याल रखें: मौ0 अलीम फारूकी
लखनऊ: मजलिस-ए-तहफ्फुज-ए-नामूस-ए-सहाब रजि0 के अन्र्तगत ऐतिहासिक जुलूस मदह-ए-सहाब के सिलसिले में एक अहम् बैठक हाता शौकत अली रकाबगंज लखनऊ में आयोजित हुई जिसमें अलग अलग सुन्नी संगठनों के पदाधिकारियों और अंजुमनों के जिम्मेदारों ने बड़ी संख्या में शिरकत की। मीटिंग की अध्यक्षता मजलिस-ए-तहफ्फुज-ए-नामूस-ए-सहाब रजि0 के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी ने की। इस अवसर पर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, हाफिज अब्दुल अज़ीम फारूकी, मौलाना मुहम्मद मुश्ताक़ नदवी, मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीक़ी, मौलाना सुफयान निजामी, क़ारी शहाब उल्लाह सिद्दीक़ी, मौलाना अब्दुल्लाह बुखारी, मौलाना अब्दुस्समी कासमी, कारी मु0 सिद्दीक़ सीतापुरी और मौलाना अब्दुल बारी फारूकी मौलाना अब्र्दरहमान फारूकी इत्यादि उपस्थित थे।
मीटिंग को सम्बोधित करते हुए मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी ने कहा कि 1998-99 मेें सुन्नी, शिया और प्रशासन के बीच में जो समझौता हुआ था उसी के अनुसार जुसूस-ऐ-मदहे सहाबा निकलना आरम्भ हुआ है। अब हम सब का कर्तव्य है कि इसी समझौते का पालन करते हुए जुलूस-ए- मदहे सहाबा में अमन व सलामती के साथ सम्मिलित हों। यह जुलूस 12 रबी उल अव्वल 1437 हि॰ मुताबिक़ 24 दिसम्बर 2015 को ये तारीखी जुलूस सुबह 9 बजे अमीनाबाद पार्क से शुरू होकर मौलवी गंज, रकाब गंज, नादान महल रोड, नक्खास चैराहा, बिल्लौच पुरा, हैदर गंज से होता हुआ ईदगाह पहँुच कर समाप्त होगा। इस लिए तमाम अंजुमनों से अपील है कि इस सम्बंध में इन जरूरी निर्देशों पर अमल करने की कोशिश करें।
सभी अंजुमनें 24 दिसम्बर 2015 को सुबह 9 बजे अमीनाबाद पार्क पहंुचकर वहीं से जुलूम तैय्यार करें। जुलूस मदहे सहाबा के लिए जो रास्ते हमको मिले हैं हम सबको उसकी पाबंदी करनी है। अपने मोहल्लों और इलाकों से जुलूस की शक्ल में खुले हुए झण्डे लेकर न आयें। कुरा अंदाजी में जिस अंजुमन को जो नम्बर मिला हो उसी के अनुसार जुलूस में रहें। जुलूस में कोई आपत्तिजनक नारा न लगायें जिससे किसी व्यक्ति या जमाअत को ठेस पहंुचे। अगर कोई असमाजिकतत्व जुलूस में बाधा डालने का प्रयास करें या कोई अफवाह फैलायें तो उस पर ध्यान केन्द्रित न करके जुलूस के जिम्मेदारोें को सूचित करें। जुलूस के दौरान नमाज पढ़ने का विशेष ध्यान रखें। जुलूस में उपस्थित कार्यकर्ताओं के निर्दोषों का पालन करें। जुलूस खत्म होने के बाद अपने झण्डों और पोस्टरों को लपेट कर वापस जायें, वापसी में अमन व शान्ति का पूरा ख्याल रखें ताकि असमाजिक तत्व अपने इरादें में कामयाब न होने पायें।
इस अवसर पर मीटिंग को खिताब करते हुए इमाम ईदगाह, लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस ऐतिहासिक जुलूस मदहे सहाबा की हिफाजत हम सबकी जिम्मेदारी है।
इस अवसर पर तमाम अंजूमनों के जिम्मेदारों ने इन तमाम निर्देषों पर पालन करने का वचन दिया और हाफिज अब्दुल अज़ीम फारूकी ने तमाम मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।