जस्टिस वीरेंद्र सिंह के नाम पर सहमत नहीं थे हाईकोर्ट के जीफ जस्टिस
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर जताया ऐतराज
लखनऊ: हाईकोर्ट के जीफ जस्टिस ने यूपी में लोकायुक्त की नियुक्ति पर ऐतराज जताया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने यूपी के राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर कहा है कि उनकी सहमति के बिना रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह को यूपी का लोकायुक्त नियुक्त किया गया है। गौरतलब है कि देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त की नियुक्ति की है।
सूत्रों के मुताबिक, चीफ जस्टिस इस बात से नाराज हैं कि वे सिलेक्शन कमेटी की मीटिंग में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज वीरेंद्र सिंह के नाम पर पहले ही ऐतराज जता चुके थे। सीएम ने भी उन्हें भरोसा दिलाया था कि वे लोकायुक्त के लिए रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह का नाम प्रपोज नहीं करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने लोकायुक्त के लिए जस्टिस एसयू खान (रिटायर्ड), जस्टिस देवेंद्र प्रताप सिंह (रिटायर्ड), जस्टिस अमर सरन (रिटायर्ड), जस्टिस श्रीकांथ त्रिपाठी (रिटायर्ड) और जस्टिस सुनील हाली (रिटायर्ड) का नाम प्रपोज किया था। हालांकि, वह रिटायर्ड जस्टिस एसयू खान के नाम पर भी सहमत नहीं थे।
सुप्रीम कोर्ट ने वीरेंद्र सिंह को यूपी का लोकायुक्त नियुक्त किया है। अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया है। ऐसा पहला मामला है जब सर्वोच्च न्यायालय ने पहली बार किसी राज्य का लोकायुक्त नियुक्त किया है।
बुधवार को लोकायुक्त की नियुक्ति न होने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मुख्यमंत्री को जमकर फटकार लगाई। आदेश जारी करने के बावजूद भी अंतिम दिन तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं होने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए लोकायुक्त की नियुक्ति कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को बुधवार तक लोकायुक्त नियुक्त किए जाने का समय दिया था।