संसद में हंगामे से मोदी आहत
नई दिल्ली। संसद में चल रहे गतिरोध को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आहत नजर आए। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस नाम लिए बिना कहा कि बड़े दुख की बात है कि संसद चलने नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि संसद ठप कर गरीबों का हम मारा जा रहा है। आज गरीबों की भलाई वाले कई कानून लटके पड़े हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव का मतलब पांच साल का कॉन्ट्रेक्ट नहीं होता है। उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए भागीदारी बहुत जरूरी है। हर छोटे काम के लिए सरकार पर निर्भर रहना सही नहीं है। मोदी ने भागीदारी पर जोर देते हुए कहा कि पांच सौ रुपए का काम होता है तो लोग सात सौ रुपए भाड़े की कार करके सरकारी दफ्तर जाते हैं फिर उस काम को कराते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मन तंत्र से देश नहीं चलात है। अगर लोकतंत्र चुनाव तक सीमित हो जाता है तो वह पंगु हो जाता है।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि इस देश में आजादी के लिए मरने वालों की कोई कमी रही। देश जबसे गुलाम रहा तब से कोई दशक ऐसा नहीं रहा होगा जहां देश के लिए मर मिटने वाले न रहे हों, लेकिन गांधी जो बदलाव ले आए वो ये था कि आजादी के आंदोलन को जन आंदोलन बनाके सामान्य लोगों को आजादी का सिपाही बना दिया। एक आध वीर से निपटना सरल था, लेकिन आम लोगों के सिपाही बन जाने से अंग्रेज नहीं निपट सकते थे।