संघ परिवार का अनुषांगिक संगठन बन गया है एनएचआरसी: रिहाई मंच
लखनऊ। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट में कैराना में मुजफ्फरनगर के मुस्लिम विरोधी साम्प्रदायिक हिंसा के विस्थापित पीड़ितों के बसने को कैराना के खराब कानून व्यवस्था की वजह और हिंदुओं के लिए खतरा पैदा करने वाला बताने को रिहाई मंच ने शर्मनाक बताया है। मंच ने कहा है कि इस तरह के निष्कर्ष यह साबित करने के लिए काफी हैं कि मोदी ने देश के तमाम संवैधानिक संस्थाओं को अप्रासंगिक ही नहीं बल्कि अपने पद की ही तरह मजाक भी बना दिया है।
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार का यह कहना कि कैराना में मुजफ्फरनगर से आकर बसे करीब 25 से 30 हजार साम्प्रदायिक हिंसा पीड़ितों ने कैराना की आबादी का पलड़ा मुसलमानों की तरफ झुका दिया है जिससे हिंदुआंे को पलायान करना पड़ रहा है, इस मसले पर भाजपा और संघ गिरोह की पहले हो चुकी बदनामी को कम करने की कोशिश है। मंच ने कहा कि मानवाधिकार आयोग जैसे संगठनों का भाजपा के लिए डैमेज कंट्रोल यूनिट बन जाना शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि यही आयोग मुजफ्फरनगर और शामली के पीड़ित मुसलमानों की इंसाफ की अर्जियांे पर पत्र प्राप्ति की भी सूचना नहीं देता। लेकिन संघ और भाजपा नेताओं द्वारा फैलाए गए अफवाहों को सही साबित करने के लिए अपनी बदनामी का खतरा उठाते हुए भी टीम भेजता है जो साम्प्रदायिक और गुमराह करने वाली रिपोर्ट जारी करती है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके आयोग भाजपा को तो कोई चुनावी लाभ नहीं पहंुचा पाएगा क्योंकि इस सब के बावजूद उसे तीसरे-चैथे नम्बर पर ही रहना है, लेकिन वो अपनी छवि जरूर खराब कर लेगा।
शाहनवाज आलम ने कहा कि कुछ महीनों पहले भाजपा सासंद और मुजफ्फरनगर मुस्लिम विरोधी साम्प्रदायिक हिंसा के षडयंत्रकर्ताओं में से एक हुकूम सिंह ने 346 हिंदू परिवारों की सूची जारी करके उनके मुसलमानों के खौफ से पलायन कर जाने की अफवाह फैलाई थी। उसके बाद रिहाई मंच ने हुकूम सिंह की सूची को फर्जी बताते हुए कई ऐसे व्यक्तियों के बारे में कहा कि उन लोगों की मृत्यु पहले हो गई थी। उसके बाद प्रशासनिक जांच में भी पाया गया था कि उनमें से 16 काफी पहले मर चुके थे, सात नाम फर्जी थे, 27 अभी भी कैराना में रह रहे हैं, 179 परिवार 4 से 5 साल पहले यानी मुजफ्फरनगर मुस्लिम विरोधी हिंसा से पहले, कैराना से बाहर चले गए थे और 67 परिवार 10 साल पहले बेहतर अवसरों की तलाश और अन्य व्यक्तिगत कारणों से कैराना छोड़ चुके हैं।