अपनी नाकामियों को कब तक छुुपायेगी अखिलेश सरकार: विजय बहादुर पाठक
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि भाजपा पर राजनैतिक आरोप लगा अपनी नाकामियों को कब तक छुुपायेगी अखिलेश सरकार। प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि सपा प्रवक्ता की माने तो मुजफ्फरनगर कांठ, मेरठ, अयोध्या, मथुरा में माहौल बिगाड़ने वाले लोग ही कन्नौज, बांदा, बलरामपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, कुशीनगर, बलिया और सिद्धार्थनगर में पथराव आगजनि के साथ पुलिसकर्मियों पर निशाना बना रहे है, तो सवाल उठता है कि सब जानने समझने के बावजूद इन घटनाओं पर लगाम क्यों नहीं लगा पा रहा है अखिलेश का प्रशासन ?
सोमवार को पार्टी मुख्यालय पर समाजवादी पार्टी प्रवक्ता के वक्तव्य पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि जब सरकार को पता है कि जो लोग पहले माहौल खराब किये वहीं अभी भी महौल खराब कर रहे है तो उन पर कठोर कार्यवाही करे। जब पता है तो उन्हें चिन्हित कर कार्यवाही क्यों नहीं की जाती, ऐसे तत्वों को क्यों प्रश्रय दिया जाता है जो एक जगह वातावरण खराब करने में कामयाब होने के बाद दूसरी जगह अपनी कार्यवाईयों को अंजाम दे रहे है। आखिर कानपुर में जिस तरह उपद्रवी अक्रामक हो पुलिसकर्मियों को निशाने पर ले रहे थे, उन्हें कौन संरक्षण दे रहा था। उन्होंने कहा कि अपनी प्रशासनिक नाकामी को राजनैतिक बयानबाजी से कब तक ढ़ककर काम चलायेंगे सपाई।
उन्होेंने कहा कि षड़यंत्र और साजिश के जुमलो का सहारा हर घटना के बाद लेने में जुटे सपाई 10 से अधिक जिलों में प्रशासनिक विफलता और सरकार के घटते इकबाल की वजह से हुए उपद्रव को भी सपा प्रवक्ता षड़यंत्र बता सरकार को बदनाम किये जाने की साजिश करार देते है किन्तु प्रशासन ये जानने के बावजूद कि त्यौहारों का समय है, समय सजग और सचेष्ठ क्यों नहीं रहा, क्यों कन्नौज में दुबारा उसी जगह पर विवाद उत्पन्न होता है जहां कुछ दिन पहले विवाद हो चुका था, सरकार के आलाधिकारी कह रहे है कि पुलिस मुस्तैद थी, अभिसूचना तंत्र विफल रहा, अभिसूचना और पुलिस दोनो गृह विभाग के अधीन है और गृह विभाग मुख्यमंत्री के अधीन, अब मुख्यमंत्री के अधीन यदि एक विभाग की नाकामी की वजह से 10 जिले में तनाव व्याप्त होता है तो क्या मुख्यमंत्री पर सीधे सवाल खड़े नहीं होते ?
श्री पाठक ने कहा कि अंहकार बढ़ने का भाजपा पर आरोप लगाने वाले सपा प्रवक्ता यह भी देखे क्या उनकी सरकार अंहकारी नहीं हो गयी है। साढ़े तीन वर्षों के अन्दर 5 साल के चुनावी वादे को पूरा करने का दांवा करते लोग यह तो बताये कि कौन सा वादा पूरा कर दिया ? साम्प्रदायिक तत्वों को प्रदेश मंे सिर न उठाने देने का दम्भ भरते लोग यह भी विचार करे कि राज्य में सम्प्रादायिक उपद्रव के बाद क्यों प्रशासन पर एक पक्ष और एक पाले में खड़े होने के आरोप लगते है, राज्य में हर निर्णय के लिए राज्य सत्ता की ओर देख रहा अखिलेश का प्रशासनिक अमला क्यों निष्पक्ष नहीं हो पा रहा है।