टीम का फैसला जैसी कोई चीज नहीं होती: कुंबले
मुंबई : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने कहा कि यह जुमला गलत है कि यह टीम का फैसला था। उन्होंने कहा कि फैसला हमेशा कप्तान ही करता है।
कुंबले ने यहां क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया में 7वें दिलीप सरदेसाई स्मृति व्याख्यान के दौरान कहा, आखिर में फैसला कप्तान ही करता है। वह किसी खिलाड़ी की सलाह ले सकता है या किसी के पक्ष में फैसला कर सकता है। अंत में जिम्मेदारी उसी की होती है। उन्होंने कहा, खेल में दो जुमले गलत और गैरजरूरी हैं। पहला कि यह टीम का फैसला था। ऐसी कोई चीज नहीं है.. टीम का सुझाव होता है, यहां तक कि टीम का प्रस्ताव लेकिन फैसला हमेशा कप्तान का होता है।
अपने रूख को साबित करने के लिए भारत के पूर्व टेस्ट कप्तान कुंबले ने 2002 में हैडिंग्ले में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में भारत के पहले बल्लेबाजी करने के सौरव गांगुली के फैसले का उदाहरण दिया। भारत ने यह मैच जीता था। उन्होंने कहा, दूसरा जुमला यह है कि कप्तान उतना ही अच्छा है जितनी अच्छी टीम है। मुझे लगता है कि इसका उलटा सही है, टीम उतनी ही अच्छी है जितना अच्छा उसका कप्तान है। काफी अच्छी टीमों को औसत कप्तान का नुकसान उठाना पड़ा है। लेकिन दूसरे तथ्य का अच्छा उदाहरण ब्रैंडन मैकुलम की अगुआई वाली न्यूजीलैंड की टीम है।
कुंबले को अलग-अलग प्रारूपों में अलग कप्तान में कुछ भी गलत नजर नहीं आता। हरभजन सिंह और एंड्रयू साइमंड्स से जुड़े मंकीगेट विवाद पर कुंबले ने कहा कि उन्होंने कप्तान के रूप में अपना काम किया। उन्होंने कहा, जैसा कि मंकीगेट विवाद के दौरान ऑस्ट्रेलिया में मैंने पाया। मैं राजनयिक की भूमिका में था। खिलाड़ियों और क्रिकेट बोर्ड के बीच सेतु का काम कर रहा था।
कुंबले ने कहा, घटना के समय मैं ड्रैसिंग रूम में था और वहां से 100 मीटर दूर कुछ हुआ। कोई बात नहीं हुई (हरभजन और कुंबले के बीच) लेकिन मुझे लगता है कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमने टीम के रूप में आगे बढ़ना कैसे शुरू किया। उन्होंने कहा, मेरे लिए खिलाड़ियों और विशेषकर इस मामले में प्रभावित भज्जी को समझाना महत्वपूर्ण था कि क्या हो रहा है। खिलाड़ी मेरे साथ रहे। सभी खिलाड़ियों ने मदद की। कुंबले ने कहा, कप्तान के रूप में मेरा काम अपने खिलाड़ियों को बचाना था और मैंने यही किया, मुझे लगता है कि इसे दो कप्तानों के बीच सुलझाया जा सकता था।