सरकार ही नहीं नीतियां बदलने की जरूरत: विजय सिंह गोंड
लखनऊ: “मैं अपने राजनीतिक जीवन में कई दलों में रहा और मुलायम की सरकार में मंत्री तक रहा पर मैने बहुत करीब से देखा कि इन दलों की सरकार में आदिवासी समाज के हितों में काम करने की इच्छा तक नहीं है। भाजपा के उच्च पदाधिकारी और सरकार के मंत्री तक आदिवासी हितों के प्रति उदासीन रहे। दरअसल सरकारों की पूरी दिशा देशी विदेशी बड़े पूंजी घरानों के हितों को पूरा करने और उसके लिए नीतियां बनाने की है। उन्हें आम आदमी के जीवन और हितों से कोई वास्ता नहीं है उसमें भी आदिवासी समाज के खिलाफ तो देश में युद्ध ही चल रहा है। उसके अस्तित्व व अस्मिता पर लगातार हमला किया जा रहा है। उसके जंगल, पहाड़
और नदी को लूट लिया गया, जिन जमीनों में वह बसा है खनन के लिए उससे उसे बेदखल किया जा रहा है। इसलिए आज जरूरत सिर्फ सरकार बदलने की नहीं नीतियां बदलने की है।“ यह बातें आज ओबरा (सोनभद्र) के क्लब नम्बर 2 के ऐतिहासिक हाल में आयोजित आदिवासी अधिकार सम्मेलन में पूर्व विधायक व मंत्री विजय सिंह गोंड ने कहीं।
सम्मेलन में एक राजनीतिक प्रस्ताव लेकर गुजरात के उना में दलितों की बर्बर पिटाई के खिलाफ आंदोलनरत दलित नेता जिगनेश मेवानी की गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा की गयी गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की गयी। सम्मेलन ने इसे संविधान द्वारा प्रदत्त नागरिक अधिकारों व लोकतंत्र पर हमला माना और जिगनेश की शीध्र रिहाई की मांग की। सम्मेलन की अध्यक्षता बसंत गोंड़ ने और संचालन राम प्यारे खरवार ने किया। आदिवासी नेता ने महाराष्ट्र में आदिवासी इलाके में भाजपा सरकार के कार्यकाल में 600 बच्चों की मौत पर गहरा आक्रोश जताते हुए कहा कि यह मौतें नहीं भाजपा सरकार द्वारा करायी हत्याएं है। उन्होंने सोनी सोरी, हिडमें जैसी आदिवासी लडकियों के साथ छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार द्वारा की गयी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि पूरे देश में रहने वाले दस करोड़ आदिवासी समुदाय को यह सरकार अमेरिका के रेड इंडियनज़ की तर्ज पर मार डालना चाहती है जिस कोशिश के खिलाफ हमारा आंदोलन है।
सम्मेलन में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के प्रदेश महासचिव व आदिवासी अधिकार मंच के संयोजक दिनकर कपूर ने कहा कि मोदी सरकार नई ऊर्जा नीति में पच्चीस साल पुराने विद्युत उत्पादन गृह को बंद करने की नीति ला रही है। इस नीति पर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने भी सहमति जताई है। इस नीति के लागू होते ही ओबरा और अनपरा-ए की परियोजना बंद कर दी जायेगी। अपनी इस नीति को लागू करने के लिए अभी से ही प्रदेश की उत्पादनरत ईकाईयों को बर्बाद किया जा रहा है। उत्पादन निगम का 6000 करोड़ रूप्या सरकार पर बकाया है जिसका भुगतान नहीं किया जा रहा है और लाभप्रद इकाईयों को घाटे में दिखाकर कर्ज पर कर्ज लिए जा रहे है। थर्मल बैकिंग कराकर क्षमता से कम उत्पादन करने के आदेश दिए जा रहे है वहीं बजाज और अम्बानी से महंगी बिजली खरीदी जा रही है। जून 2015 से कार्यो का भुगतान नहीं किया गया है हालत इतनी बुरी है कि ठेका मजदूरों को वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में सरकार द्वारा सार्वजनिक सम्पत्ति की लूट के सवालों को भी उठाया जायेगा और अनपरा ओबरा को बर्बाद करने की कोशिशों का मुकाबला किया जायेगा।
सम्मेलन को जमुना यादव, संजय सिंह गोंड़, जोखू खरवार, प्रधान सुनील सिंह गोंड़, पूर्व ब्लाक प्रमुख दयाराम बैसवार, राम खेलावन गोंड़, रामसेवक सिंह गोंड़, बद्री गोंड़, मणिशंकर पाठक, अजंनी पटेल, शम्भू सिंह गोंड़, उदित राज खरवार, सीताराम मास्टर, छेदी लाल राजभर, प्रमोद गोंड़ आदि ने सम्बोधित किया।