मासूम भुगत रहे है प्रदेश सरकार की नाकामी का खामियाजा: डा0 चन्द्रमोहन
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार को पार्कों के सुन्दरीकरण की ज्यादा चिंता है, लेकिन आम आदमी के स्वास्थ्य की जरा भी परवाह नहीं है। पूर्वांचल के 9 जिले पिछले कई सालों की तरह दिमागी बुखार से जूझ रहे है। गोरखपुर मेडिकल कालेज में जापानी इंसफेलाइटिस से 129 बच्चे मर चुके है। लेकिन सरकार को अब भी यह याद नहीं आ रही हैं कि उसने 2012 में वहां पर 500 बेड़ का बाल चिकित्सालय बनाने का वादा किया था। जब सपा सरकार के शासनकाल में राजधानी में ही दिमागी बुखार से मौते हो रही है। तब प्रदेश के दूसरे भागों की बात करना बेमानी है।
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि अखिलेश यादव सरकार से मासूम बच्चों की मौत का हिसाब मांगा हैं। डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि सरकार को पूर्व में ही रिपोर्ट मिल गयी थी, मेडिकल कालेज में बच्चों का इंटेसिव केयर यूनिट ठप है। मेडिकल कालेज में दावाओं का भारी अभाव है। दिगामी बुखार के इतने मरीज है कि डाक्टरों की भारी कमी हो गई है। इसके बाद भी अखिलेश सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और मासूमों की मौत होती रही। माँ अपने सीने से अपने बच्चों की लाशें लेकर रोती रहीं।
डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि सरकार को तीन महीने पूर्व ही वहां के मेडिकल कालेज को दवाओं की आपूर्ति कर देनी चाहिए थी। इसके साथ ही राजकीय अस्पतालों के चिकित्सकों को मेडिकल कालेज से संक्द्ध कर देना चाहिए था। अब जब दिमागी बुखार बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा है, तब स्वास्थ्य विभाग को दवाओं के लिए धन मुहैया कराने की बात याद आयी है। यह पूरी तरह से अखिलेश सरकार की नाकामी हैं।
डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि इसी महीने में 2014 में प्रदेश में दिमागी बुखार और एईएस की चपेट में आकर 178 बच्चों की मौत हुई थी। इसके बाद भी ऐसी लापरवाही दिखाती है कि प्रदेश सरकार को बच्चों की हो रही मौतों से खास सरोकार वहीं है। पिछले एक महीने से गोखरपुर मेडिकल कालेज में डाक्टरों का प्राचार्य के साथ झगड़ा चर्चा में रहा है। प्राचार्य ने लगातार बच्चों के इलाज में लापरवाही को देखकर बालरोग विभाग का चार्ज स्वयं ले लिया था। जिसके बाद से वहां पर घोर प्रशासनिक लापरवाही उत्पन्न हो गयी थी। उ0प्र0 के आलावा नेपाल और सीमांत बिहार से भी लगातार जेई और एईएस पीडि़त बच्चे मेडिकल आ रहे थे लेकिन इससे लड़ने वाले टीकों की भारी कमी भी कारण बन रही थी।
डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि अखिलेश की सरकार में जब राजधानी में ही स्वास्थ्य सेवाएं इतनी लचर हो गई हो तो पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य ढांचे को लेकर क्या कहा जा सकता है। राजधानी में ही सरकार इंसेफेलाइटिस और डेंगू पर नियंत्रण कर पाने में विफल है। अखिलेश सरकार में निजी अस्पतालों की चांदी हो गई है। निजी चिकित्सालय मरीजों को पूरी तरह निचोड़ रहे है। सरकारी अस्पतालों से मरीजों को भगाया जा रहा हैं इलाज में कोताही बरती जा रही है। यह ऐसी सरकार है जो आम आदमी के कष्टों को और ज्यादा बढ़ा रही है। स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के नाम पर अरबों की लूट मची हुई है। यह ऐसी निकम्मी सरकार है जिसका आम हितों से नहीं अपने वोट बैंक से सरोकार है।