अकबरपुर बिजली महकमा माशा अल्लाह
यहाँ समस्याएँ ही समस्याएँ समाधान नहीं, उपभोक्ता और विभाग दोनों समस्याग्रस्त
अम्बेडकरनगर। इस जिले का मुख्यालयी शहर है अकबरपुर और इस शहर में एक अति प्राचीन विद्युत उपकेन्द्र है, जिसकी क्षमता है 33/11 के.वी.ए.। इस शहर के लिए ‘शक्ति भवन’ से 18 से 20 घण्टे विद्युत आपूर्ति किए जाने का निर्देश है, लेकिन जर्जरावस्था को प्राप्त अकबरपुर विद्युत उपकेन्द्र के सभी फीडर ओ.सी.बी. और अन्य उपकरण निष्प्रयोज्य से हो गए हैं। जिसके कारण शक्तिभवन द्वारा निर्धारित समयानुसार उपभोक्ताओं को विद्युतापूर्ति सुचारू रूप से नहीं मिल पा रही है।
यहाँ बता दें कि अकबरपुर में लोकल फाल्ट के चलते कुल मिलाकर बमुश्किल 10 से 12 घण्टे ही बिजली आपूर्ति हो पाती है। ट्रान्सफार्मर जलना, केबिल, तार, जम्पर आदि में त्रुटियाँ आने पर अकबरपुर विद्युत उपकेन्द्र के कर्मचारी समझ ही नहीं पाते हैं कि गड़बड़ी कैसे ठीक हो। उनके इस कृत्य से प्रतीत होता है कि ये सभी बिजली तकनीकि के बारे में जानते ही नहीं और न ही शिक्षा ही ग्रहण किए हैं। यहाँ बताना आवश्यक है कि जरा सी हवा चली नहीं और बूंदा-बांदी हुई नहीं कि आपूर्ति ठप। पूछने पर पता चलता है कि ब्रेक डाउन है, फाल्ट ढूंढा जा रहा है।
अकबरपुर के लोग मानसून सम्बन्धी खबरें पढ़कर चिन्ता मग्न हो जाते हैं। उन्हें यह भय सताने लगता है कि जब हल्की हवा और बूंदा-बांदी में कई घण्टों के लिए विद्युत सप्लाई ठप हो जाती है, तो ऐसे में यदि मानसून सक्रिय हो गया और जमकर हवा के साथ बरसात शुरू हो गई तब तो महीनों बिजली गुल रहेगी। यहाँ के लोग पवन एवं वरूण देव से यही प्रार्थना करते हैं कि उनकी कृपा दृष्टि इस क्षेत्र पर कम ही हो।
अकबरपुर विद्युत उपकेन्द्र पर तैनात विद्युत कर्मियों की संख्या अपर्याप्त बताई जाती है। जो हैं भी उनकी शारीरिक बनावट ऐसी नहीं है कि खम्भों पर चढ़कर तार-केबिल आदि ठीक कर सकें, इसलिए वे लोग अपने लिए सहायक रख रखें हैं, और उन्हीं से सारा काम करवाते हैं। उच्चाधिकारियों को छोड़कर बीच के जितने भी अधिकारी/कर्मचारी हैं उन्हें उपभोक्ताओं की समस्या से कोई लेना-देना ही नहीं रहता। चाहे कहीं केबिल टूटकर गिरे या ट्रान्सफार्मर से आग लगे उनकी बला से। ये लोग समय-समय पर विभाग द्वारा चलाए जा रहे विशेष अभियानों में अपना योगदान दिखाकर उच्चाधिकारियों से अपनी पीठ थपथपवा कर कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं। विद्युत उपभोक्ता किन-किन समस्याओं से जूझ रहा है इन्हें इससे कुछ लेना-देना नहीं होता है। छोटी-छोटी समस्याओं के लिए उपभोक्ताओं को अधिशाषी अभियन्ता या अन्य उच्चाधिकारियों
अकबरपुर शहर की सड़कों के अलावा विभिन्न गली मोहल्लों में चलना जान जोखिम में डालने के समान है, यहाँ से गुजरने वालों के सिर पर हर समय मौत मंडराती रहती है, और यह मौत कोई और नहीं बल्कि जगह-जगह पैबन्द लगे जर्जर विद्युत तार हैं। ये तार कब टूटकर किसके सिर पर गिर जाए और एक बड़े हादसे का सबब बन जाएँ कुछ कहा नहीं जा सकता। इस तरह के हादसे कई बार पेश भी आ चुके हैं और कई लोग इन जर्जर तारों की चपेट में आकर अपनी जान भी गंवा चुके हैं। शार्ट-सर्किट होना, तारों का आपस में सटकर दगना यह प्रायः होता रहता है। यह स्थिति देखकर प्रतीत होता है कि ये सिलसिला जो चल रहा है वह कभी बन्द नहीं होगा। गली-कूचों से गुजरने वाले यही प्रार्थना करते गुजरते हैं कि किसी तरह सही-सलामत अपने गन्तव्य तक पहुँच जाएँ बस।
अकबरपुर शहर को विद्युत आपूर्ति करने वाला कम्पोजिट मेन फीडर प्रायः निष्प्रयोज्य हो जाया करता है। कभीं तार टूटना, जम्पर उड़ना और कभी लो-वोल्टेज या शून्य वोल्टेज की समस्या से उपभोक्ता आजिज आ चुके हैं। इस फीडर से लगभग तीन कि.मी. लम्बे क्षेत्र को विद्युत आपूर्ति की जाती है जाहिर सी बात है कि टी.पी.एम.ओ. के अभाव में यदि कहीं भी लोकल फाल्ट आई तो पूरा शहर विद्युत विहीन हो जाता है। (टी.पी.एम.ओ. क्या है, इसके बारे में आम आदमी तो क्या विभागीय विद्युत कर्मी भी नहीं बता पाते कि यह कौन सी बला है?) अकबरपुर में विद्युत कर्मियों की जो फौज है वह विद्युत गड़बड़ियाँ तलाशने में नाकाम रहती है। क्योंकि ये विद्युत कर्मी जानकार हैं ही नहीं। कुल मिलाकर अकबरपुर जो अम्बेडकरनगर जिले का मुख्यालयी शहर है के लोगों का बिजली के बिना बुरा हाल है।
गौरतलब है कि गत वर्ष सरकार के निर्देश पर चलाए गए विद्युत चोरी रोको अभियान में इस जिले ने नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए लक्ष्य से कई गुना अधिक बकाया विद्युत राजस्व की वसूली की थी। विद्युत चोरी रोको और बकाया राजस्व वसूली अभियान में यह जिला प्रदेश में दूसरे स्थान पर रहा। विभाग की इस उपलब्धि से जिले का नाम रौशन हुआ और इसके लिए जिले के हाकिम को पुरस्कृत भी किया गया। बावजूद इसके शोचनीय विषय यह है कि राजस्व वसूली में अव्वल आने के बाद भी इस विभाग का कोई पुरसाहाल नहीं है। उपकरणों की तो बात दूर तार, केबिल, इन्सूलेटर तक का यहाँ अभाव है। कहीं गड़बड़ी आने पर 1 मीटर तार की भी जरूरत पड़ी तो इसके लिए लाइनमैनों को प्राइवेट ठेकेदारों का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में इस विभाग की स्थिति कब और कैसे सुधरेगी कुछ भी नहीं कहा जा सकता।