शीना केस से हटाये गए मारिया
मुंबई। हाई प्रोफाइल शीना बोरा मर्डर केस की जांच की देख रेख कर रहे मुंबई के पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया को महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को उनके पद से हटा दिया है। उन्हें महाराष्ट्र का नया महानिदेशक (होम गार्ड्स) नियुक्त किया गया है। मारियो को हटाने के आदेश उन्हें सौंप दिए गए हैं।
राज्य सरकार ने मारिया की जगह डीजी (होम गार्ड्स) अहमद जावेद को मुंबई का नया पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया है। मारिया मंगलवार को ही जावेद को कमिश्नर का चार्ज सौंप देंगे। प्रदेश के गृह सचिव के पी बक्शी ने कहा कि सरकार त्योहारी मौसम शुरू होने से पहले आदेश जारी करना चाहती थी।
मारिया का कार्यकाल 30 सितंबर तक था। वह दिसंबर 2016 में सेवानिवृत हो जाएंगे। गत वर्ष जब मारिया को मुबंई का पुलिस आयुक्त बनाया गया था, तब वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जावेद ने होमगार्ड का पुलिस महानिदेशक का पद लेने के बजाए लंबी छुट्टी पर चले गए थे।
उस समय उन्होंने मारिया को मुंबई का पुलिस आयुक्त बनाए जाने का यह कहते हुए विरोध किया था कि इस पद के लिए वरिष्ठता के क्रम में वह सबसे ऊपर हैं।
उल्लेखनीय है कि हाई प्रोफाइल शीना बोरा मर्डर केस पर मारिया खुद नजर रखे हुए थे। उन्होंने खुद कई घंटों तक इस केस की मुख्य आरोपी शीना की मां इंद्राणी मुखर्जी और अन्य आरोपियों से पूछताछ की थी। जिन लोगों से इस मामले में पूछताछ की गई उनमें इंद्राणी के पूर्व पति संजीव खन्ना और ड्राइवर श्याम राय शामिल हैं।
जांच के दौरान उन्होने मीडिया से भी बातचीत की, जबकि पुलिस कमिश्नर बनने के बाद उन्होंने एक बार भी कोई साक्षात्कार नहीं दिया। उल्लेखनीय है कि राकेश मारिया ने कुछ दिन पहले दिए एक साक्षात्काार में कहा था कि वह शीना को दूसरी आरूषि नहीं बनने देंगे। उनका कहना था कि 30 सितंबर तक मैं पुलिस आयुक्त रहूंगा, उससे पहले शीना केस की गुत्थी सुलझा ली जाएगी।
मारिया ने वर्ष 1993 में मुबंई पुलिस के यातायात विभाग के उपायुक्त रहते हुए बांबे में हुए श्रंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में आरोपियों का पता लगाने में बड़ी कामयाबी हासिल की थी। उन्हें बाद में अपराध शाखा का उपायुक्त बना दिया गया था और पदोन्नति करके इसी विभाग में संयुक्त आयुक्त नियुक्त कर दिया गया था।
वर्ष 2003 में गेटवे आफ इंडिया और जावेरी बाजार बम विस्फोट मामले में भी उन्होंने छह लोगों की गिरफ्तार किया था। मुंबई में 26 नवंबर 2008 में हुए आतंकी हमले की जांच का काम भी उन्हें ही सौंपा गया था। इस हमले में जिंदा पकडे गए आतंकवादी अजमल कसाब से उन्होंने की कड़ी पूछताछ की थी और उससे कई अहम राज उगलवाए थे।