नई दिल्‍ली: राज्यों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा ये गंभीर मामला है। हमने अपने अनुभव से पाया है कि उन लोगों को भी राज्य सरकारें सरकारी वकील बना देती हैं जो दूसरा भी काम करते हैं।

राज्यों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति में पारदर्शिता की जरूरत है। सरकारी वकीलों को दिया जाने वाला पैसा जनता के टैक्स का होता है। ऐसे में किसी को भी सरकारी वकील नहीं बना बनाया जा सकता। एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस टीएस ठाकुर की बेंच ने कहा कि वकीलों की नियुक्ति न्यायोचित होनी चाहिए। ऐसे वकीलों को नियुक्त करना चाहिए जिनपर कोई उंगली न उठा सके। सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए कोई तो नियम होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जितने कोर्ट हैं उससे ज्यादा सरकारी वकील हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि आप के यहां सरकारी वकील कैसे नियुक्त किये जाते हैं। 6 हफ्ते में बताये। ये मामला पंजाब सरकार द्वारा सरकारी वकीलों की नियुक्ति का है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में SG रंजीत कुमार इसमें कोर्ट की मदद करें। कोर्ट ने टिप्‍पणी करते हुए कहा कि हम इस मामले में जो भी आदेश जारी करें उसे सभी राज्य सरकारों को मानना होगा।