बुजुर्गो का सम्मान किये बिना शिक्षित होना बेमानी: शिवपाल यादव
भारतीय विश्वविद्यालय संघ सेन्ट्रल जोन के दो दिवसीय कुलपति सम्मेलन का उद्घाटन
लखनऊ:उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण एवं सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने आज भारतीय विश्वविद्यालय संध सेन्ट्रल जोन के दो दिवसीय कुलपति सम्मेलन का उद्घाटन डीम्ड विश्वविद्यालय के सभागार में किया। श्री यादव राष्ट्रीय विकास के लिये उच्च शिक्षा के योगदान विषय पर आयोजित कुलपति सम्मेलन-2015 में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुये तथा विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित “यूनिवर्सिटी न्यूज जनरल” का विमोचन किया।
श्री यादव ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थाओं में छात्रों को उच्च स्तर की शिक्षा प्रदान की जाती है। छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ भारतीय मौलिक संस्कारों की शिक्षा भी अपरिहार्य है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने संस्कार भूल गये, माता-पिता, बुजुर्गों का सम्मान करना भूल गये तथा उनकी सेवा करना भूल गये तो शिक्षित होना बेमानी सा लगता है। श्री यादव ने कहा कि हमारा देश कभी सोनंे की चिडि़या कहा जाता था तथा यहां दूध की नदियां बहती थी, हमें उन मानवीय मूल्यों एवं आदर्शों को शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से शिक्षार्थियों को हस्तगत करना है, जिससे संस्कारित हो कर हम विकास की धारा में जुड़ कर आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता परिलक्षित हो। विकास के दौर में हिन्दुस्तान 135 देेशों से पीछे है, यहां प्रति व्यक्ति औसत आय कम है। विकास के दौर में कृषि विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैै।
श्री यादव ने कहा कि दो दिवसीय कुलपति सम्मेलन में उच्च शिक्षा के स्तरोन्न्यन हेतु जो भी विचार मन्थन के पश्चात निर्णय व सुझाव निकलेंगे उन्हें आगे बढ़ाने के लिये शासन का सहयोग सदैव प्राप्त होता रहेगा। कुलपति सम्मेलन के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएं देते हुये श्री यादव ने डीम्ड विश्वविद्यालय के कुलपति, सेक्रेटरी जनरल प्रो0 फुरकान कमर तथा सम्मेलन के आयोजन में सहयोग करने वाले सभी महानुभावों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
एआईयू के सेक्रेटरी जनरल प्रो0 फुरकान कमर ने अपने सम्बोेधन में कहा कि 107 विश्वविद्यालयों में 93 भारतीय विश्वविद्यालय संघ के सदस्य हैं जो केन्द्र सरकार व राज्य सरकार के अधीन उच्च शिक्षा अयोग के सहयोग से राष्ट्र के विकास हेतु उच्च स्तरीय शिक्षा के द्वारा अपना योगदान कर रहे हंै। उन्होंने कहा कि अभी इस दिशा में गुणात्मक सुधार लाने की जरूरत है, जो भी समस्यायें हैं उनका निराकरण, निदान का उपाय खोजना होगा। शियाट्स के कुलपति श्री राजेन्द्र लाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी चुनौतियां हैं। खासकर उच्च शिक्षा में उन नौजवानों की संख्या ज्यादा है जो विकास के दौर में आगे आना चाहते हंै। उन्होेंने कहा कि “थिंक ग्लोवली एक्ट लोकली” की अवधारणा लेकर ही हमें आगे बढ़ना होगा और राष्ट्र के विकास के लिये सोचना होगा। शिक्षा डिग्री तक ही सीमित नही है बल्कि उसमें आचरण को परिमार्जित करने की क्षमता एवं गुणवत्ता का विकास भी जरूरी है। उन्हांेने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा ग्रहण करने वाले मैन से ह्यूमन बने, सभ्य हो, कानून व्यवस्था के पोषक हों, देश को व्यवस्थित ढ़ंग से चलाने वाले हांे। विश्वविद्यालय एक स्वायत्तशासी संस्था है जहां पर्याप्त मात्रा में पारदर्शिता होनी चाहिये। महिलाओं, अनु0 जाति, जनजाति, अल्पसंख्यकों की समान रूप से भागीदारी होनी चाहिये। इस अवसर पर कुलपति महोदय द्वारा मा0 मंत्रीजी को प्रतीक चिन्ह एवं अंगवस्त्र भेंट किया गया।