लखनऊ: पिछले तीन सालों में प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार में उसके मंत्रियों एवं अधिकारियों की फोन स्नूफिंग की 32 घटनाओं में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इन घटनाओं से यह साबित होता है कि प्रदेश में अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल कर अनुचित कार्य भारी पैमाने पर कराये जा रहे हैं।

उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत ने आज अपने बयान में कहा कि इन घटनाओं में सत्तारूढ़ दल के प्रभावशाली लोगों के नाम से अधिकारियों को फोन करके उनसे अनुचित काम करवाये गये हैं। जिसमें चाहे वह प्रो0 रामगोपाल यादव के पीए के नाम से फोन किये गये हों, या शिवपाल यादव सिंह जी के नाम से फोन किये गये हों या फिर शैलेन्द्र अग्रवाली नाम का जाल-साज हो जिसने दो-दो पुलिस महानिदेशकों को अपनी गिरफ्त में ले रखा था या फिर ताजी घटना में  प्रतीक यादव के नाम से अवैध खनन और ट्रान्सफर पोस्टिंग कराने का मामला हो, इन सारे मामलों में एक चीज समान रूप से सामने आ रही है कि यह सारे जालसाज एटा, इटावा, मैनपुरी और आगरा के आसपास के हैं जो कि एक बड़े षडयंत्र की ओर इशारा करते हैं। उक्त सभी ट्रान्सफर-पोस्टिंग, टेण्डर, अवैध खनन व अन्य कामों में लगभग पांच हजार करोड़ की हेराफेरी हुई है। जो कि भ्रष्टाचार के बड़े मामले को इंगित करता है। प्रवक्ता ने मांग की है कि यदि प्रदेश सरकार एवं युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने आपको पाक-साफ और पारदर्शी दिखाना चाहते हैं तो उक्त सारी घटनाओं की जांच सीबीआई से करायें या एसआईटी गठित करें या अवकाश प्राप्त किसी न्यायाधीश के नेतृत्व में कमेटी गठित कर जांच कराये ंताकि इस भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचा जा सके।