बुजुर्गो का कौन रखवाला?
आज कल मुंबई जैसे महानगर में वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षित रह पाना मुश्किल हो गया है । खास कर अकेले रह रहे निराश्रित बुजुर्गों का । हाल ही मे विक्रोली स्थित टैगोर नगर में लूट के इरादे से एक 85 वर्षीय महिला पर हमला किया गया । बुजुर्ग महिला घर में अकेली रहती थी और उसने चार दिन पहले ही नौकरनी को रखा था जिसने उस पर हमला कर दिया । इसके पूर्व 12 जनवरी 2015 को वाशी के 72 वर्षीय रामनाथ सेठ चार बदमाशों ने हमला किया । 29 मार्च 2015 विद्याविहार निवासी 73 वर्षीय प्रीति गोखानी पर तीन लोगों ने हमला कर लूटपाट की । 21 मई 2015 को धारावी के 75 वर्षीय नामदेव शिरसात पर एक बदमाश ने हमला कर लूटपाट को अंजाम दिया ।
इसके पूर्व भी मुंबई में ऐसी घटनाए घटती रहती है । पालघर जिले के दहानु में रहने वाले वरिष्ठ पारसी दंपति की हत्या कर दी । यह दंपति अकेले रहते थे । खार मे नौकर द्वारा 82 साल के हीराचंन्द जैन व उसकी पत्नी परसनबेन वरिष्ठ दंपति पर हमला किया गया था । ये घर मे अकेले रहते थे और नौकर इनकी देखभाल करता था । इससे पूर्व की एक घटना वर्सोवा में एक 58 वर्षीय महिला की हत्या चोरी के इरादे से वाचमैन और हाउसिंग सोसायटी के दो सफाई कर्मियों ने कर दी । वारदात के समय महिला का पति दावा खरीदने के लिए मेडिकल स्टोर तक गया हुआ था । वरिष्ठ दंपति अकेले रहते थे । उनके दोनों बेटे गल्फ में रहते है । दूसरी एक घटना में 75 वर्षीय विधवा की पालघर के सफाले विलेज में 600 रुपयों के लिए उसके ही शराबी बेटे ने हत्या कर दी । हत्या के बाद उसने कमरे में ही गड्डा खोद कर शव को दफना दिया था । और एक घटना पायधुनी में एक बेटे ने अपनी 90 वर्षीय माँ की हत्या कर दी थी । इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि पिछले कुछ वर्षों से महाराष्ट्र वरिष्ठ बुजुर्गो के लिए सबसे असुरक्षित जगह बनता जा रहा है । आज के दौर में सयुक्त परिवारों का विघटन , नौकरी कि सिलसले में बच्चों का बाहर चले जाना और फ्लैट्स में रहने वाले कुलीन लोगों का एक दूसरे के प्रति उदासीन रवैया बुजुर्गों के लिए एकाकीपन और असुरक्षता के बड़े कारण का दौर उभरा है । वैसे पुलिस ने कई बार बुजुर्गो की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अभियान चलाया है । पुलिस के अनुसार , यदि लोग नौकरों को रजिस्टर करवा दें , तो नौकर अपराध करने से डरेंगे । पुलिस को शिकायत रहती है कि बार – बार अपील करने के बावजूद उन्हें हाउसिंग सोसायटियों और वहाँ के रहने वालों से समुचित सहयोग नहीं मिल पा रहा है । दूसरी तरफ बुजुर्गो का आरोप है कि पुलिस उनके प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अख़्तियार कर रही है । बहुत से बुजुर्गो को पुलिस पर विश्वास ही नहीं है । वे पुलिस में अपना ब्योरा दर्ज करवाने के लिए इस कारण भी डरते है कि पुलिस जानकारी लीक कर देगी । पुलिस और बुजुर्गो के एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने से इस समस्या का कोई हल नहीं निकलने वाला । बुजुर्गो को अपना माहौल सुरक्षित बनाने के लिए खुद पहल करनी चाहिए । डबल डोर दरवाजे होना चाहिए , ताकि एक डोर खोलने पर सामने वाले को देखा जा सके । सोसाइटी मेनेजमेंट को ठोंक – पीटकर ही सफाई कर्मचारी , प्लंबर , एलेक्ट्रिशियन ,काम करने वाली बाइयों – नौकरों को प्रवेश देना चाहिए । अकेले रहने वाले वारिष्ठों को अपने पड़ोसियों से और निकट संबधियों को अपने रूटीन लाइफ से अवगत रखना चाहिए । अपने हर सुख – दुख व समस्याओं को सीनियर सिटिज़न असोशिएशन के पदाधिकारियों से शेयर करते रहना चाहिए । पुलिस को भी नहीं भूलना चाहिए कि हर नागरिक की सुरक्षा की बुनियादी ज़िम्मेदारी उसी की है । उसे वरिष्ठ नागरिकों की विशेष जरूरतों के प्रति ज्यादा संवेदनशील रहना चाहिए । आम नागरिकों को भी वृद्धो के प्रति संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए । आज जरूरत है एक दूसरे के सहयोग की ।