मुंबई के उत्तर भारतीय नागरिकों ने राज्यपाल को सम्मानित किया

लखनऊ: राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वहन संविधान के दायरे में रहकर करना मेरा दायित्व है। मैंने अपने दायित्व का निर्वहन करते समय सदैव संविधान की भावना का अक्षरशः पालन किया है। उत्तर प्रदेश में बहुत प्रतिभा है। उसे उत्तम प्रदेश बनाने के लिए अनवरत प्रयत्न कर रहा हूँ। मुंबई से सांसद रहने के कारण उत्तर भारतीयों से पुराना और आत्मीय संबंध रहा है। राज्यपाल पद की शपथ ग्रहण करने से अब तक राजभवन में बारह हजार से अधिक व्यक्तियों से मुलाकात की है तथा उत्तर प्रदेश के नागरिकों ने अपनी विभिन्न समस्याओं एवं अन्य संदर्भों के संबंध में मुझे लगभग एक लाख पत्र भेजे, जिनके निराकरण के लिये यथोचित कार्यवाही की गयी। उत्तर प्रदेश की बेहतरी के लिए मैं राज्य और केन्द्र के बीच सेतु की भूमिका निभाता रहता हूँ। अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने के दौरान स्वयं पर होने वाली टिप्पणी को भी मैं प्रशस्ति-पत्र के रूप में स्वीकार करता हूँ।
उक्त विचार उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक मंुबई के उत्तर भारतीय नागरिकों की ओर से आयोजित सत्कार समारोह में व्यक्त कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल राम नाईक के दो वर्ष के कार्यकाल पूर्ण होने के अवसर पर सत्कार समारोह का आयोजन मुंबई में हिन्दी भाषी संघ, श्री आदर्श रामलीला समिति, श्री राम सत्संग समिति, मानव सेवा मिशन, चौहान समाज, उत्तर भारतीय एजुकेशन सोसायटी, यादव समाज ट्रस्ट मुंबई सहित 35 सामाजिक संस्थाओं द्वारा किया गया था। इस अवसर पर केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री कलराज मिश्र, उत्तर प्रदेश की मूल निवासी तथा महाराष्ट्र सरकार में राज्यमंत्री विद्या ठाकुर, उत्तर भारतीय समाज के शारदाप्रसाद सिंह, शिक्षाविद् डाॅ0 शारदा प्रसाद शर्मा, मुंबई के अतिरिक्त साॅलिसिटर जनरल अनिल सिंह, मुंबई से सांसद गोपाल शेट््टी और विधायक आशिष शेलार सहित बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय नागरिक सत्कार समारोह में विशेष रुप से उपस्थित थे।
केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री कलराज मिश्र ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्यपाल राम नाईक की गणना एक व्यक्ति के रुप में न होकर एक विचारधारा के रुप में होती है। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में उनके द्वारा निभाये गये संवैधानिक दायित्व सराहनीय हैं। जनसमस्याओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता के कारण उत्तर प्रदेश के नागरिकों के बीच उन्होंने अपना विशेष स्थान बनाया है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता, समय पर आयोजित होने वाले दीक्षान्त समारोह, विधान परिषद के सदस्यों का नाम निर्देशन एवं लोकायुक्त की नियुक्ति आदि में श्री नाईक की सक्रिय भूमिका सेे लोगों में संविधान के प्रति आस्था बढ़ी है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल कैसा होना चाहिए इसके मापदंड का निर्धारण श्री नाईक ने किया है।
वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि वैचारिक मतभेद होते हुए भी वे राम नाईक के पक्ष में मतदान करते थे। वे राजनीति के परे निरपेक्ष भाव से काम करते हुए दिखते थे। अब श्री नाईक चुनावी राजनीति से सन्यास लेकर संवैधानिक पद पर हैं इसलिए उनसे अपेक्षाएं भी बहुत ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि ‘महामहिम’ शब्द से संबोधित न करने के स्पष्ट आदेश देने वाले राम नाईक ‘राजभवन‘ को ‘जनभवन‘ में परिवर्तित करेंगे इसमें तिलमात्र भी शंका नहीं है।
राज्यपाल राम नाईक पिछले 37 वर्षों से निरन्तर अपना कार्यवृत्त जनता को जानकारी देने एवं पारदर्शिता के मद्देनजर प्रकाशित कराते रहे हैं। राज्यपाल बनने के बाद भी उन्होंने अपनी इस परम्परा को जारी रखा तथा दो वर्ष पूर्ण होने पर दूसरा कार्यवृत्त जारी किया।