साम्प्रदायिक ताकतें मुल्क का अम्न चैन तबाह करने पर तुली हैं: मौ0 जलालुद्दीन उमरी
लखनऊ, सांप्रदायिक ताकतें देश की शांति और व्यवस्था को नाश करने पर तुली हैं, उनका उत्साह लगातार बढ़ता जा रहा है, हैवानियत और दरिंदगी का प्रदर्शन जगह जगह किया जा रहा है, उसके खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है, क्योंकि शांति और व्यवस्था प्रभावित होने से हर व्यक्ति परेशान है और देश का विकास रुक जाता है, देश में शांति और व्यवस्था तभी स्थापित हो सकता है, जब सभी के साथ न्याय हो और देश के हर नागरिक का अधिकार सुरक्षित हो इसी उद्देश्य के लिए जमाते इस्लामी ने शांति एंव मानवता अभियान 'शुरू किया है। इन विचारों को जमाते इस्लामी हिंद द्वारा आयोजित रविवार को कीर्षी भवन लखनऊ में आयोजित संगोष्ठी से मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी, अमीर जमाते इस्लामी ने किया .मौलाना जलालुद्दीन ने कहा कि मुट्ठी भर साम्प्रदायिक ताक़तों के सामने अल्पसंख्यक एकजुट हो जाएं तो उनके हौसले पस्त हो सकते हैं, क्योंकि देश के संविधान ने सबको बराबर के अधिकार दिए हैं, चाहे कार्यालय का चपरासी हो या अधिकारी, सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं। उन्होंने कहा कि छोटी छोटी समस्याएं पैदा कर लोगों को परेशान किया जा रहा है, कोई भी सभ्य समाज सांप्रदयिकता बर्दाश्त नहीं कर सकता हे. मुट्ठी भर लोगों की वजह से भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि पूरी दु नया में धूमिल हो रही है और देश का मजाक उड़ाया जा रहा है कि वहाँ लोगों के रेफ्रिजरेटर और टिफिन में देखा जाता है कि वे क्या खा रहे हैं। कोई क्या खा रहा है यह तक झाँका जा रहा है, भारत को लगातार बदनाम करने की साजिश की जा रही है, इस ओर सरकार का भी ध्यान आकर्षित किया जा रहा है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हे. मौलाना ने कहा कि प्रधानमंत्री भारत नरेंद्र मोदी ने खुद स्वीकार किया है कि 85 फीसद गौ रक्षक अपने कुकर्मों को छिपाने के लिए रक्षक बने हुए हैं , राज्यों को ऐसे लोगों को रेखांकित करने का आदेश दिया गया है, सवाल यह है कि आप तो पुरे देश के प्रधानमंत्री हैं, आप ने उन की गुंडागर्दी के खिलाफ कौन से कदम उठाए? मौलाना ने कहा कि कोशिश यह की जा रही है कि जितने भी अल्पसंख्यक भारत में बसे हैं, उन्हें परेशान कर दिया जाए और उनकी देश भक्ति बहुसंख्यक के सामने ख़राब कर दी जाए, ताकि वे फिर से उभर नहीं पाएं, लेकिन उनकी कोशिशें कभी सफल नहीं हो गी.सचर कमेटी ने 10 / वर्ष पहले अपनी रिपोर्ट दी थी कि मुसलमानों की स्थिति देश में दलितों से भी बदतर है, लेकिन दस साल गुजर जाने के बाद उनके लिए कुछ नहीं किया गया. कांग्रेस जिसने यह कमेटी बनाई थी, उस ने भी कुछ नहीं किया, वर्तमान सरकार से उम्मीद करना ही व्यर्थ है।
इंतजार नईम सहायक सचिव जमाते इस्लामी हिन्दने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, यह एक ऐसा देश है, जहां हर धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं, देश की विशेषता रही है कि हर तरह के लोग सदियों से मिलजुल कर रहते रहे हैं और यही भारत की गंगा जमुनी पहचान रही है, लेकिन कुछ वर्षों से ऐसी शक्तियां सक्रिय हो गई हैं, जो लोगों के बीच नफरत की दीवार खड़ी कर रही हैं, ताकि जनता के बीच अराजकता पैदा हो और वह इसका लाभ उठा सकें .लोगों की पिटाई करना नग्न करके घुमाना और हत्या जैसी घिनौनी हरकत उनके योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ध्रुवीकरण करके लाभ प्राप्त करना है। इन के सामने खड़े होने की जरूरत है। इसी उद्देश्य के तहत जमाते इस्लामी ने यह अभियान शुरू किया है।
मौलाना कौसर नदवी ने कहा कि सांप्रदायिक सदभावना कायम करने की जिम्मेदारी सिर्फ मुसलमानों की नहीं है, बल्कि अन्य लोगों की भी जिम्मेदारी है, क्योंकि अगर उन का घर जलेगा तो दूसरे भी सुरक्षित नहीं रह सकेगे.साथ ही हमें दलितों और अन्य पीड़ित और वंचित वर्गों से उनके पड़ोस और घरों पर जाकर मुलाकात करनी होगी और उन्हें अपना हमदर्द बनाना चाहिए, इससे सबका लाभ होगा और हुआ भी है, इसका उदाहरण मुंबई और पंजाब में अब जल्द ही देखने को मिली है, जहां दलितों और सिखों ने मुसलमानों का खुलकर साथ दिया हे.मायूस होने की जरूरत नहीं है, भगवान का शुक्र है कि देश का बड़ा वर्ग धर्मनिरपेक्ष है, हम उन्हें अपने साथ जोड़ नहीं पाए या सकारात्मक कोशिश ही नहीं की। सबसे पहले हमें खुद एकजुट होने की जरूरत है, हम खुद मसलकों में विभाजित हैं, विस्तार हृदय दिखाते हुए हमें एकजुट होना होगा। अन्य देशों में हम कई मतभेद हैं, लेकिन वे आपस में संघर्ष नहीं होतीं, पहले लोगों को जोड़ने की कोशिश की जाए अन्य जातियां भी हमारा साथ देंगी।
मौलाना इकबाल अहमद कादरी ने कहा कि आज देश की यह हालात हो गई हैं कि जिन गलियों में हमारे बच्चे निडर होकर घूमते थे, आज वहां जाते हुए भयभीत रहते हैं, उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं तक को यह आशंका रहती है कि उन्हें आरोप लगा कर कसी मामले में फंसा न दिया जाए .सारे समाधान के लिए मुसलमानों को पहले सीरते नबवी पर चलना होगा. मुल्क के संविधान ने हर देश को उसके धर्म पर अमल करने का अधिकार दिया। इस्लाम कभी मिटाया नहीं जा सकता है क्योंकि कुरान और इस्लाम की रक्षा की जिम्मेदारी खुद अल्लाह ने ली है, अगर यह काम नहीं कर सके तो अल्लाह किसी दूसरी कौम से यह काम ले गया। मौलाना ने कहा कि आज मदरसों को आतंकवाद का अड्डा बताया जा रहा है, जबकि देश को आजाद कराने में अपनी जान न्यौछावर करने वाले सबसे मदरसे के पढ़े थे.हम ने देश की रक्षा के लिए अब्दुल हमीद बनकर बलि दी है, फिर भी हमें विश्वासघाती कहा जाता है और हम से वफादारी का सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है।
मोलाना सय्यद हमीदुल हसन प्रिंसिपल जामिया निजामिया ने अपने संबोधन में कहा कि शांति और व्यवस्था मनुष्य के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहा हे. कोई मज़हब नफरत नहीं सिखाता है दुनिया मदरसों में आतंकवादी नही बनाये जाते हैं ट्विन टॉवर को गिराने वाले किसी मदरसे के नहीं थे, क्योंकि मदरसों में पायलट का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है .मज़हब हमेशा शांति का पाठ देता है, हमें धार्मिक पुस्तक, नेता और उनकी पूजा स्थलों की सुरक्षा करना सिखाया गया है।
कार्यक्रम से फादर आर.वी. राय, समाज कल्याण समिति के मुर्तजा अली, ब्योपार मंडल के अध्यक्ष नीतीश कुमार गुप्ता, ब्रजेश मान सिंह, श्री भिक्षु रत्न जी लखनऊ, श्री ज्ञानी देवेंद्र जी प्रशासन समिति नाका हंडोलह लखनऊ और डॉक्टर बिनजमीन प्रसाद मसीह ने भी संबोधित किया। तिऔरवस्थापरशझरवानतठार नईम ने गान प्रदान कया.करशिय भवन कापोराहाल श्रमिकों, महिलाओं की भीड़ से भरा था।