सिंधु को अब मिल जायेगा फोन, खा सकेंगी आईसक्रीम
रियो डि जिनेरियो: जब बात अनुशासन की आती है तो भारत के दिग्गज बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद कोई समझौता नहीं करते और यही वजह रही कि उन्होंने पिछले तीन महीने से पी वी सिंधु को फोन से दूर रखा और रियो पहुंचने पर इस रजत पदक विजेता शटलर को आईसक्रीम भी नहीं खाने दी।
जब कुछ हासिल करना होता है तो फिर जिंदगी में कई बलिदान करने पड़ते हैं तथा साइना नेहवाल से लेकर सिंधु तक गोपी के सिद्धांत कभी नहीं बदले। लेकिन जिस दिन उनकी शिष्या सिंधु ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी उस दिन एक कड़क शिक्षक भी नरम बन गया और उन्होंने बड़े भाई की तरह भूमिका निभायी।
अब मिशन पूरा होने के बाद सिंधु भी एक आम 21 वर्षीय लड़की की तरह जिंदगी जी सकती है तथा अपने साथियों को व्हाट्सएप पर संदेश भेजने के अलावा अपनी पसंदीदा आईसक्रीम भी खा सकती है। सिंधु के रजत पदक जीतने के बाद गोपी ने कहा, ‘सिंधु के पास पिछले तीन महीने के दौरान उसका फोन नहीं था। पहला काम मैं यह करूंगा कि उसे उसका फोन लौटाउंगा। दूसरी चीज यहां पहुंचने के बाद पिछले 12-13 दिन से मैंने उसे मीठी दही नहीं खाने दी थी जो उसे बहुत पसंद है। मैंने उसे आईसक्रीम खाने से भी रोक दिया था। अब वह जो चाहे वह खा सकती है।’
गोपी ने ओलंपिक से सिंधु के अनुशासन और कड़ी मेहनत की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘पिछला सप्ताह उसके लिये शानदार रहा। पिछले दो महीनों में उसने जिस तरह से कड़ी मेहनत की वह बेजोड़ था। जिस तरह से बिना किसी शिकायत के उसने बलिदान किये वह शानदार था। वह अब इस क्षण का आनंद लेने की हकदार है और अब मैं वास्तव में चाहता हूं कि वह ऐसा करे। मैं वास्तव में बहुत-बहुत खुश हूं।’
सिंधु अभी 21 साल की है और गोपी को उम्मीद है उनकी पसंदीदा शिष्या अभी काफी कुछ हासिल करेगी। उन्होंने कहा, ‘सिंधु अभी युवा है। मेरा मानना है कि इस टूर्नामेंट से उसे काफी कुछ सीखने को मिला है। उसके पास आगे बढ़ने की बहुत क्षमता है। आपको अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए। उसने हमें गौरवान्वित किया है। मैं उसके लिये वास्तव में खुश हूं।’ गोपी ने सिंधु को सलाह दी कि वह गोल्ड मेडल से चूकने के कारण निराश होने के बजाय रजत पद जीतने की खुशी मनाये।
उन्होंने कहा, ‘मैंने उससे कहा कि वह हार के बारे में नहीं सोचे। यह याद करो कि हमने एक पदक जीता है। मैं उससे कहना चाहता हूं कि वह पिछले सप्ताह के प्रयासों को नहीं भूले जो उसने पोडियम पर दूसरे स्थान पर पहुंचने के लिये किये थे।’ गोपी ने कहा, ‘उसने जो प्रयास किये उससे उसने हम सबको गौरवान्वित किया है। हम बहुत खुश हैं। यह उससे अधिक महत्वपूर्ण मेरे लिये हैं कि हम यह भूल जाएं कि वह मैच हार गयी। हम इस पर ध्यान दें कि उसने पदक जीता।’ गोपी ने हालांकि कहा कि यदि स्टेडियम में राष्ट्रगान बजता तो उन्हें अधिक खुशी होती।
उन्होंने कहा, ‘मैं भी चाहता था कि हमारा ध्वज थोड़ा और ऊपर फहराया जाता लेकिन यह कहते हुए भी मैं सिंधु की तारीफ करता हूं कि उसने यहां तक पहुंचने के लिये बेहद कड़ी मेहनत की।’ टूर्नामेंट की बात करें तो विश्व में 10वें नंबर की सिंधु पूरी तरह से एक अलग तरह की खिलाड़ी दिखी। यहां तक भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी और लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साइना नहेवाल ग्रुप चरण से ही बाहर हो गयी थी।
गोपी ने कहा, ‘सिंधु ने चारों मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया। फाइनल में भी उसने कड़ी चुनौती पेश की। मुझे वास्तव में गर्व है कि उसने अपनी तरफ से वह सब कुछ किया जो वह कर सकती थी। मारिन बेहतर खेली। सिंधु को इससे सीख मिली है। उम्मीद है कि अगली बार वह और मजबूत होकर कोर्ट पर उतरेगी।’ ऑल इंग्लैंड चैंपियन गोपीचंद सिडनी ओलंपिक 2000 के क्वार्टर फाइनल में हार गये थे। लेकिन कोच के रूप में उनकी दो शिष्या साइना नेहवाल और अब सिंधु के पास ओलंपिक पदक है। उन्होंने कहा, ‘जिंदगी में ऐसा एक बार होता है। कई बार लाखों में एक बार और शायद हमारे लिये अरबों में एक। बहुत कम अवसरों पर किसी को पोडियम पर पहुंचने का मौका मिलता है तथा जो इस पूरी यात्रा का हिस्सा होता है उसके लिये यह विशेष क्षण होता है।’
गोपी ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं। ईश्वर और उन लोगों का आभारी हूं जिन्होंने हमारा समर्थन किया। जवाब देने के लिये मेरे पास मेरा फोन नहीं है लेकिन कई चीजों जैसे प्रधानमंत्री के ट्वीट से हमें कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा मिली। हर किसी ने ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया। उनमें से कुछ लोगों को ही जीत मिली।’ उन्होंने कहा, ‘हमें भी सोने का तमगा पसंद है लेकिन यह उसका पहला ओलंपिक है और जिस तरह से वह खेली उससे मैं गौरव महसूस कर रहा हूं।’