यूपी में वनों का रख रखाव श्रेष्ठ: एफ0एस0सी0
अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने उ0प्र0 वन निगम को दिया प्रमाणपत्र
लखनऊ: प्रदेश में वन प्रबन्धन को मान्यता देते हुए अन्तर्राष्ट्रीय संस्था एफ0एस0सी0 (फाॅरेस्ट स्टुअर्टशिप काउन्सिल) ने उ0प्र0 वन निगम को प्रमाण पत्र प्रदान किया है। वन निगम को यह प्रमाण पत्र राज्य में वनों के कुशल प्रबन्धन के लिए दिया गया है। यह जानकारी देते हुए आज यहां राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इस प्रमाण पत्र से उत्तर प्रदेश के वन उत्पादों की अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में स्वीकार्यता सुनिश्चित होगी। इससे राज्य के वन उत्पादों से निर्मित वस्तुओं का मूल्य बढ़ेगा एवं राजस्व प्राप्ति में वृद्धि होगी। साथ ही, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश की साख भी बढ़ेगी।
प्रवक्ता ने बताया कि प्रमाण पत्र में राज्य के 13 वन प्रभाग शिवालिक, नजीबाबाद, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बिजनौर, दक्षिणी खीरी, उत्तरी खीरी, गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती, गोरखपुर, कतर्निया घाट एवं सुहेलवा शामिल हैं। इसके तहत इन वन प्रभागों का कुल 3 लाख 49 हजार 296 हेक्टेयर वन क्षेत्र तथा 41 वृक्ष प्रजातियां जैसे सागौन, खैर, साल, शीशम आदि शामिल हैं। उ0प्र0 वन निगम का प्रमाणीकरण एफ0एस0सी0 से मान्यता प्राप्त एस0सी0एस0 ग्लोबल सर्विसेज द्वारा किया गया है।
प्रवक्ता के अनुसार इस प्रमाण पत्र से प्रदेश की वन प्रबन्धन प्रणाली में स्थानीय लोगों के अधिकारों का समावेश होगा एवं वनों की सुरक्षा एवं संरक्षण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित होगी। एफ0एस0सी0 द्वारा प्रमाणित उत्तर प्रदेश का यह वन क्षेत्र सम्पूर्ण दक्षिण एशिया के प्रमाणित वन क्षेत्र का 39.1 प्रतिशत है।
ज्ञातव्य है कि एफ0एस0सी0 एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन विभिन्न देशों के प्रमुख प्रकाष्ठ उपभोक्ताओं, मानवाधिकार एवं पर्यावरण सरोकारों से सम्बन्धित संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा वर्ष 1992 में रियो में हुए अर्थ समिट के पश्चात किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कुशल वन प्रबन्धन को मान्यता प्रदान करना है। प्रवक्ता ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार 10 विश्वव्यापी मानकों, देश के सभी कानूनों तथा अन्तर्राष्ट्रीय सन्धियों/अनुबन्धों का सम्मान, भूमि एवं वन संसाधनों के स्वामित्व, अधिकारों एवं उत्तरदायित्वों को कानूनी रूप से परिभाषित, परिलिखित एवं स्थापित करने, स्वदेशी व्यक्तियों की निजी भूमि, क्षेत्रों एवं संसाधनों के स्वामित्व, उनके प्रयोग, प्रबन्धन एवं पारम्परिक अधिकारों का सम्मान, वन प्रबन्धन संचालन में वन श्रमिकों एवं स्थानीय समुदायों के सामाजिक एवं आर्थिक कल्याण को बनाए रखने, वन उत्पादों के कुशल प्रयोग को प्रोत्साहित कर वन प्रबन्धन को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाना एवं सामाजिक तथा पर्यावरणीय लाभों को सुनिश्चित करने, वन प्रबन्धन से जैव विविधता का संरक्षण कर पारिस्थितकीय सन्तुलन एवं वनों की सम्पूर्णता बनाए रखने, वनों के प्रबन्धन की तात्कालिक एवं दीर्घकालीन आवश्यकताओं की पूर्ति वन प्रबन्ध योजनाए बनाने, वानिकी कार्याें के सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन कर वन प्रबन्धन को सुदृढ़ करने, उच्च संरक्षण मूल्य वाले वनों का चिन्हीकरण एवं संरक्षण करने तथा उन 09 सिद्धान्तों के पृष्ठभूमि में वुक्षारोपण योजनाएं तैयार करने तथा वृक्षारोपण से सामाजिक एवं आर्थिक लाभों को व्यवस्थित रखने के आधार पर यह प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।