हजरत अली के रास्ते पर चलने का आह्वान
लखनऊ। हजरत अली के शासनकाल में सच्ची धर्मनिरपेक्षता थी और हर अल्पसंख्यक सुरक्षित ही नहीं था बल्कि वह विकास कर रहा था। यह बात लखनऊ यूनिवॢसटी के पूर्व विभागध्यक्ष डा.रमेश दीक्षित ने यहां इंजीनियर्स भवन में हजरत अली क़ौमी यकजती कांफ्रेस में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कही।
इसके अलावा विशेष अतिथि के रुप में बोलते हुए प्रदेश के पूर्व कार्यकारी मुख्यमंत्री डा. अम्मार रिजवी ने कहा कि यह हजरत अली ने बताया कि कौन सा जानवर का गोश्त हलाल है और किसका हराम जबकि लखनऊ के पूर्व मेयर डा. दाऊजी गुप्त ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि दुनिया में सिर्फ लखनऊ ही एक मात्र ऐसा शहर है जहां हजरत अली के चार रौजे हैं। कई चरणों की इस कांफ्रेस में विभिन्न स्कूल व कालेजों के छात्र व छात्राओं ने हजरत अली की शख्सियत पर प्रकाश डाला। सभी वक्ताओं ने हजरत अली के रास्ते पर चलने का आह्वान किया।
पुस्तक नहजूल बलागा में हर चीज पर विस्तार सेे प्रकाश डाला। उन्होंनेे दुनिया को दिखाया कि किस तरह से शासन किया जाता है उनके शासन में न सिर्फ
अल्पसंख्यक यहूदी सुरक्षित थे बल्कि उनको विकास के सारे अवसर भी प्राप्त करते थे। कहा कि उनके जमाने में अल्पसंख्यक भयभीत नहीं रहते थे।
विशेष अतिथि डा.अम्मार रिजवी ने कहा कि हजरत अली के पास एक शख्स आया और उसने कहा कि मैं जंगल में रहता हूं मुझे कैसे मालूम कि किस जानवर का गोश्त हलाल है और किसका हलाल नहीं। इस पर मौला अली ने फरमाया कि जो जानवर पीछे के पैरों से पहले बैठता है उसका गोश्त हराम है और जो जानवर आगे के पैरों के सहारे पहले बैठता है उसका गोश्त हलाल है जैसे बकरी। फिर उस शख्स ने पूछा कि किस जानवर का अंडा खाना हलाल है और किसका हराम इस पर हजरत अली ने फरमाया कि यह बहुत आसान है जिस जानवर के अंडे के दोनों सिरे एक जैसे होंगे वह अंडा हराम होगा। और जिस जानवर के अंडे के दोनों सिरे एक जैसे नहीं होंगे उस अंडे को खाना हलाल है। इसी तरह जंग में भी हजरत अली ने बताया कि जंग उसूलों पर लडऩा चाहिए न की दुश्मनी पर। एक बार उनके मुकाबले जंग में अरब का सबसे पहलवान शख्त आ गया। हजरत अली नेे उस शख्त को शिकस्त देकर जब उसके सीने पर सवार हुए तो उस पहलवान ने हजरत अली पर थूक दिया। तब हजरत अली नेे उस पहलवान का कत्ल नहीं किया बल्कि उसके सीने से उतरकर कहा कि तू फिर मुझसे जंग कर। इस पर उस पहलवान ने कहा कि आपने मुझे कत्ल क्यों नहीं किया। इस पर हजरत अली ने कहा कि अगर मैं तुमको उस वक्त कत््ल करता तो वह मेरी व्यकितगत दुश्मनी होती जबकि मैं जगं उसूलों के लिए करता हूं। दूसरे मुख्य वक्ता प्रो.सैयद फजले इमाम ने कहा कि इतिहास में सिर्फ हजरत अली ऐसे एक मात्र शख्स थे जिन्होंने लोगों से कहा कि जो पूछना हो मुझसे पूछो इससे पहले की मैं मर जाऊ। विशेष भाषण में मशहूर न्यूरोलाजिस्ट डा.असद अब्बास ने हजरत अली की जिंदगी के दूसरे पहलूओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। सैयद वकार रिजवी ने कहा कि हजरत अली को हर वर्ग के लोग मानते है। शाम को मुशायरे का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन अवधनामा एजुकेशनल एंड चैरेटिबल ट्रस्ट और यूनिटी पीजी एंड ला कालेज के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। काफ्रेस का उद्घाटन जस्टिस इम्तियाज मुर्तजा हुसैन ने किया।