आतंकियों के साथ पकडे गए डीएसपी दविंदर 15 दिनों की एनआईए रिमांड पर
नई दिल्ली: आतंकवादियों की मदद करने के मामले में गिरफ्तार हुए जम्मू-कश्मीर के निलंबित डीएसपी दविंदर सिंह सहित चार अन्य आरोपियों को 15 दिन की नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) के रिमांड पर भेज दिया गया। गुरुवार को उन्हें विशेष अदालत में पेश किया गया था। आरोपियों को बुलेट-प्रूफ वाहनों में चेहरे ढ़क कर लाया गया था।
उनके साथ गिरफ्तार हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी सरगना के भाई सैयद इरफान को भी अदालत में पेश किया गया। इन चारों को हथियार और गोला-बारूद के साथ पकड़ा गया था, जब वे दक्षिणी कश्मीर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर काजीगुंड के पास एक कार में जा रहे थे।
एनआईए की तरफ से इन पांचों से पूछताछ के लिए 15 दिन की हिरासत मांगी गई थी। बता दे कि पिछले सप्ताह मामले की जांच के लिए सभी को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम से ट्रांजिट रिमांड पर यहां लाया गया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 14 जनवरी को इस मामले की जांच एनआईए के जिम्मे सौंपने की जानकारी दी थी।
इससे पहले एनआईए ने 18 जनवरी को तीन आतंकियों के साथ पकड़े गए जम्मू-कश्मीर के डीएसपी दविंदर सिंह मामले को दर्ज कर जांच शुरू की थी। 11 जनवरी को प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के जिला कमांडर नवीद बाबू सहित, हाल ही में शामिल हुए आतिफ और एक वकील इरफान मीर के साथ गिरफ्तार किया गया था। हिजबुल के जिला कमांडर नवीद बाबू पर 11 लोगों की हत्या का मामला दर्ज है।
वहीं, गिरफ्तारी के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा डीएसपी दविंदर सिंह को राज्य द्वारा दिया जाने वाला पुलिस वीरता पुरस्कार वापस लिया जा चुका है। एक अधिकारिक आदेश में कहा गया था कि वीरता के लिए दिया जाने वाला शेर-ए-कश्मीर पदक उनसे ‘जब्त’ किया जाता है।
13 दिसंबर 2001 को हुए संसद हमले का दोषी अफजल गुरु ने 2013 में लिखी गई एक चिट्ठी में दविंदर सिंह पर कई आरोप लगाए गए थे। हालांकि, इन आरोपों की जांच की गई थी लेकिन सबूत के साथ इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई थी। हमले का मास्ट रमाइंड अफजल को 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में ही फांसी की सजा सुनाई थी।