CAA पर नेताजी के पोते और भाजपा नेता चंद्र कुमार बोस का बयान

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून पर देश के कई राज्‍यों में हो रहे विरोध के बीच नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते और भाजपा नेता चंद्र कुमार बोस का बयान आया है। उनका कहना है कि एक बार कोई बिल अगर एक अधिनियम के रूप में पारित हो जाता है, तो इसके बाद यह राज्य सरकारों के लिए बाध्यकारी है, यह कानूनी स्थिति है। हालांकि, एक लोकतांत्रिक देश में आप नागरिकों पर किसी भी अधिनियम को थोप नहीं सकते हैं।

सीके बोस ने कहा, 'मैंने अपनी पार्टी के नेतृत्व को सुझाव दिया है कि सिर्फ थोड़े-सा संशोधन विपक्ष के पूरे अभियान पर पानी फेर सकता है। हमें विशेष रूप से यह बताने की आवश्यकता है कि यह उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है, हमें किसी धर्म का उल्लेख नहीं करना चाहिए। हमारा दृष्टिकोण अलग होना चाहिए। हमारा काम लोगों को यह समझाना है कि हम सही हैं और वे गलत हैं। आप अपमानजनक नहीं हो सकते। सिर्फ इसलिए कि आज हमारे पास संख्या है, हम आतंकी राजनीति नहीं कर सकते। हमें सीएए के लाभों के बारे में लोगों को बताना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा, 'हमारा काम लोगों को ये समझाना है कि हम सही हैं और वो गलत हैं। आप गाली गलौच नहीं कर सकते। केवल इसलिए कि आज हमारे पास अधिक संख्या है, हम आतंक की राजनीति नहीं कर सकते। चलिए हम लोगों को सीएए को फायदों को बारे में बताएं।' बता दें सीएए को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में प्रदर्शन को एक महीने से भी अधिक समय हो चुका है।

वहीं, हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने सीएए पर कहा कि एक बार जब कोई कानून संसद द्वारा पारित कर दिया जाता है, तो मुझे लगता है कि संवैधानिक दृष्टिकोण यह है कि कोई भी राज्य इसे मना नहीं कर सकता है। इस कानून को मानना भी नहीं चाहिए, लेकिन इसको कानूनी तौर पर जांचा जाना चाहिए।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2019 केंद्र सरकार ने 10 जनवरी से ही पूरे देश में लागू कर दिया है। इसे लेकर सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके साथ ही 10 जनवरी 2020 से ही नागरिकता संशोधन कानून पूरे देश में लागू हो चुका है। अब शरणार्थियों को नागिरकता देने की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून व राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के विरोध में दिल्‍ली, पश्चिम बंगाल, असम और महाराष्‍ट्र के अलावा कई राज्‍यों में प्रदर्शन को रहा है। दिल्‍ली के शाहीन बाग में बीते एक माह से अधिक समय से धरना चल रहा है। हालांकि, केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी स्थिति में कानून को वापस नहीं लिया जाएगा।