प्रियंका ने कहा, सरकार दूधमुंही बच्ची की बेगुनाह मां को घर जाने दे
वाराणसी: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ वाराणसी में शांतिपूर्ण मार्च निकाल रहे कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। 19 दिसंबर को हुई इस गिरफ्तारी में एक दुधमुंही बच्ची के माता-पिता भी हैं। बच्ची फिलहाल अपने दादी और अन्य परिजनों के साथ रही है। बच्ची की तबीयत भी अब बिगड़ रही है। इसी को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर हमला बोला है। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा है कि नागरिक प्रदर्शन को दबाने के लिए बीजेपी सरकार ने अमानवीयता दिखाई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार बच्चे के बेगुनाह मां को घर जाने दे।
प्रियंका गांधी ने कहा, 'बीजेपी सरकार ने नागरिक प्रदर्शनों को दबाने के लिए ऐसी अमानवीयता दिखाई है कि एक छोटे से बच्चे को मां-बाप से जुदा कर दिया है। चंचल की तबीयत खराब हो गई है लेकिन भाजपा सरकार की खराब नियत पर कोई असर नहीं पड़ा है। चंचल के माता पिता शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के चलते जेल में हैं।' उन्होंने लिखा, 'इस सरकार का नैतिक कर्तव्य है कि वह इस बच्चे की बेगुनाह माँ को घर जाने दे।'
इससे पहले इस बच्ची की दादी वाराणसी स्थित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय भी गई थीं। बच्ची की दादी शिला शेखर ने बच्ची की हालत बताते हुए कार्यालय में पीएम के नाम ज्ञापन सौंपा और न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि 19 दिसंबर को अन्य लोगों के साथ बच्ची के माता पिता रवि और एकता CAA के खिलाफ शांतिपूर्ण मार्च निकाल रहे थे लेकिन दोनों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। माता-पिता के बिना बच्ची बेहाल है। रातभर रोती रहती है।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बेनियाबाग में हुए प्रतिवाद मार्च के दौरान दोनों को 70 लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। महमूरगंज के शिवाजीनगर निवासी एकता और रवि की सवा साल की बच्ची चंपक इन दिनों रवि के बड़े भाई शशिकांत तिवारी के पास है। शशिकांत कहते हैं, बच्ची पूरे दिन मां के लिए रोती है। वह बीमार हो गई है और उसका वजन भी कम हो गया है। बच्ची की देखरेख दादी शीला तिवारी कर रही हैं।
बीते 19 को कई स्थानों पर हुए प्रतिवाद मार्च में 73 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। एकता और रवि की गिरफ्तारी का विरोध पिछले दिनों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी किया था। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि बनारस में कई सारे छात्र, अंबेडकरवादी, गांधीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने उनको जेल भेज दिया है। एक परिवार का एक साल का बच्चा अकेले है।शांतिपूर्ण प्रदर्शन की ये सजा। सरकार का व्यवहार हद से बाहर हो चुका है।