महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार का पतन ‘‘बीजेपी साम्राज्य’’ के अंत की शुरूआत : प्रमोद तिवारी
लखनऊ: कांगे्रस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने अपनी प्रतिक्रिया में आज कहा कि देवेन्द्र फणडवीस के नेतृृत्व में पाप, झूॅठ और विष्वासघात पर आधारित सरकार का अंत लोकतंत्र, न्यायपालिका और महाराष्ट्र की महान जनता की ‘‘विजय’’ है, और मोदी तथा आमित शाह को सबक है कि संविधान से खिलवाड़, दम्भ और अहंकार की राजनीति का ‘‘अंत’’ बुरा ही होता है । महाराष्ट्र में भा.ज.पा. सरकार का पतन ‘‘भा.ज.पा. साम्राज्य’’ के अंत की शुरूआत है । इतिहास अपने को दोहराता है, मुम्बई में 1942 में कांगे्रस ने ‘‘अंगे्रजों भारत छोंड़ों’’ का नारा दिया था आज उसी धरती से ‘‘भा.ज.पा. गद््दी छोंड़ो’’ का नारा दिया जा रहा है ।
श्री तिवारी ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने आज भारत के लोकतंत्र को बचा लिया, और ऐतिहासिक निर्णय देकर भारतीय जनतापार्टी की ‘‘तानाशाही प्रवृृत्ति’’ पर जोरदार तमाचा मारा है । बीजेपी. के दोनों सर्वोच्च नेताओं की आदत पड़ गयी है कि वे संविधान का चीरहरण करते हैं, और अल्पमत में होने के बाद भी धन बल एवं सत्ता बल का प्रयोग करके, हाॅर्स ट्रेडिंग करके तथा सीबीआई और ED का भय दिखाकर सरकार बना लेते हैं । गोवा, अरुणांचल प्रदेश और उत्तराखण्ड सहित कई राज्यों ने इसे देखा है ।
श्री तिवारी ने कहा है कि ऐसा ही महाराष्ट्र में भी किया गया, रात के अंधेरे में संविधान, परंपरा और राज्यपाल सहित सभी संवैधानिक पदों की गरिमा के विपरीत राष्ट्रपति शासन हटाया गया, एक झूठे पत्र का सहारा लेकर अल्पमत की एक ऐसी असंवैधानिक सरकार बना दी जो बहुमत से बहुत दूर थी । ये नग्न ताण्डव महाराष्ट्र में बैठे नेता तब तक नहीं कर सकते थे जब तक कि प्रधानमंत्री और देश के गृृह मंत्री जी स्वयं इस षड़यंत्र में सहमति नहीं देते। और इसीलिये जब लोग सोकर उठे भी नहीं थे, इन दोनों ने सबसे पहले ट्वीट करके बधाई भी दे दी । आजाद भारत के इतिहास का यह एक ‘‘कलंकित काला दिन’’ था। और एक बार फिर पं. दीन दयाल उपाध्याय, स्व. अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृृष्ण आडवाणी जी की ‘‘नेक कमाई’’ को बुरे कामों से बदनाम किया गया ।
श्री तिवारी ने कहा है कि संविधान के शब्दों की व्याख्या उसके मंतव्यों को ध्यान में रखकर की जाती है। आज उसी को ध्यान में रखकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया है । माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के शब्दों को मंतव्यों के निहितार्थ शब्दों के साथ पढ़ा जाना चाहिए। 14 दिन की समय सीमा को घटाकर 30 घण्टे मे बहुमत साबित करने का निर्णय देना, सीके्रट बैलट की जगह ओपेन बैलट कराना, और लाइव टेलीकास्ट कराना, ताकि पूरा देश देखता रहे । यह इस बात को स्पष्ट करता है कि सर्वोच्च न्यायालय को भी भारतीय जनतापार्टी की सरकार और उसकी निष्पक्षता पर विशवास नहीं है । यह सर्वोच्च न्यायालय का केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार की नीति और नीयति पर भरोसा न होना दर्शाता हैै।