महाराष्ट्र: अजीत पवार को जेल की सलाखों का डर दिखा कर प्रजातंत्र की हत्या कर दी गई–कांग्रेस
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम पर कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से 10 सवाल पूछे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 23 नवंबर का दिन एक काले अध्याय के रूप में दर्ज होगा। अवसरवादी अजीत पवार को जेल की सलाखों का डर दिखा कर प्रजातंत्र की हत्या कर दी गई है। यह महाराष्ट्र के लोगों से धोखा है। सुरजेवाला ने कहा कि पहले तो बोलते थे कि अजीत पवार को आर्थर रोड जेल भेजेंगे अब उन्हीं को उप मुख्यमंत्री बना दिया गया है क्योंकि मोदी हैं तो मुमकिन है। कांग्रेस नेता ने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने अमित शाह के हिटमैन के रूप में काम किया है। बाबा साहेब के प्रदेश में संविधान को रौंदने वाले मोदी जी और अमित शाह हैं।
कांग्रेस ने पूछे- सरकार बनाने का दावा कब और किसने पेश किया था। सरकार बनाने के दावे पर बीजेपी-एनसीपी के कितने विधायकों के हस्ताक्षर हैं? उन हस्ताक्षरों को कब किसने सत्यापित (वेरिफाई) किया है| राज्यपाल महोदय ने रात में कितने बजे राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा की है? केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा की है तो कितने बजे की गई? कैबिनेट की बैठक रात में कितने बजे हुई और इस बैठक में कौन-कौन मंत्री शामिल था? कैबिनेट की अनुशंसा रात में राष्ट्रपति महोदय के पास कितने बजे भेजी गई? अनुशंसा को रात में कितने बजे राष्ट्रपति ने स्वीकार किया? राज्यपाल महोदय ने कब और कितने बजे शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रित किया?
सिर्फ एक प्राइवेट न्यूज एजेंसी वालों के अलावा बाक़ी पत्रकारों को महाराष्ट्र के चीफ जस्टिस को क्यों नहीं बुलाया? शपथ दिलाने के बाद राज्यपाल ने यह क्यों नहीं बताया कि बहुमत कब और कितनों में साबित करना है?
इससे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसके बाद कांग्रेस ने अलग से प्रेस कॉन्फ्रेंस की। अब भाजपा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिवसेना, कांग्रेस पर निशाना साधा है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस को जनादेश मिला था। शिवसेना के प्रदर्शन में भी बीजेपी का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने कहा कि ये कहते हैं कि लोकतंत्र की हत्या हो गई। शिवसेना ने 30 साल पुरानी दोस्ती तोड़ी तब लोकतंत्र की हत्या नहीं हुई? जब अजित पवार के नेतृत्व में बड़ा तबका आकर देवेंद्र फडणवीस को समर्थन दे तो क्या लोकतंत्र की हत्या हो गई।
उन्होंने उद्धव ठाकरे का नाम लिए बगैर कहा कि जो लोग बाला साहेब के विचारों को छोड़ दें, उनके बारे कुछ नहीं कहना, बाला साहेब का कांग्रेस विरोध जगजाहिर है। यह देश की आर्थिक राजधानी पर कब्जा करने की कोशिश थी। क्या कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना में से किसी ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया था।