बच्चों के न्यूरो सिस्टम को प्रभावित कर रही है मोबाइल और टीवी की लत
नई दिल्ली: मोबाइल और टीवी के ज्यादा प्रयोग से बच्चों का न्यूरो सिस्टम गड़बड़ा रहा है. ऐसे में यह जरूरी है कि बच्चे मोबाइल पर गेम खेलने और टीवी देखने के अपने घंटे तय कर लें और मोबाइल टीवी की लत से बचें. एम्स फिजियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर के. के. दीपक ने इंडिया एकेडमी ऑफ न्यूरोसाइंस की वार्षिक चर्चा में स्कूली बच्चों से यह बातें कहीं.
उन्होंने छात्रों से कहा कि वह बिना दबाव के वह पढ़ें जो वह पढ़ना चाहते हैं. इससे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं होगी. उन्होंने चिंता जताई की अधिकांश अभिभावक मार्केट ट्रेंड के मुताबिक अपने बच्चों को कॉर्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, पीडियाट्रिक जैसे कोर्स करा रहे हैं. इससे देश में फंडामेंटल मेडिकल साइंस 'फिजियोलॉजी और मेडिसन' की तरफ छात्रों का आकर्षण कम हो रहा है. यह गंभीर संकट है. मेरी अभिभावकों को सलाह है कि वह बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार पढ़ने दें.
फिजियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर के. के. दीपक ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि कुछ समय पहले एक ट्रेंड इंजीनियरिंग और एमबीए कोर्स का था लेकिन वह धीरे-धीरे कम हो गया है. उन्होंने कहा कि हार्ट अटैक, न्यूरो, कैंसर और बच्चों में ज्यादा गंभीर बीमारियां 5 फीसदी लोगों में ही देखने में आती है. ऐसे में बाकी 95 फीसदी बीमारियों का इलाज करने वाले चिकित्सकों की कमी है. यही कारण है कि देश में नई दवाओं का अविष्कार नहीं हो पा रहा है.
तनाव भरी जीवन शैली में लोग ठीक से नींद नहीं ले पा रहे हैं. आठ घंटे की नींद को लोग किश्तों में पूरा करना चाहते हैं. जबकि यह गलत है। अगर आप चार-चार घंटे सोकर यह सोचते हैं कि आपकी नींद पूरी हो चुकी है तो यह गलत है. क्योंकि शरीर और मस्तिष्क को तरोताजा रखने के लिए रात में लगातार 8 घंटे की नींद जरूरी होती है. इस कारण अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं में लोग असफल होते हैं क्योंकि तनाव के कारण वह नींद किस्तों में पूरी करते हैं और इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
एम्स फिजियोलॉजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डा.सिमरन कौर ने कहा कि मोबाइल की लत से बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है. इससे बच्चे में तनाव भी बढ़ता है और वह जिद्दी हो जाते हैं. जिसे दूर करने के लिए अभिभावकों को यही सलाह है कि बच्चे को संतुलित आहार दें और आहार में आयरन तत्व वाले पदार्थों को शामिल करें. इससे बच्चे की सेहत में सुधार आएगा. उन्होंने कहा कि सोमवार को एम्स में हुई कार्यशाला में 9 स्कूलों से करीब 500 छात्रों को यह सब जानकारी दी गई.