जुलूसे मोहम्मदी का मकसद अज़मते मुस्तफा को समझाना: अहमद मियाॅ
लखनऊ: आल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के यूथ अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अहमद मियाॅ ने कहा कि अल्लाह को सबसे ज्यादा पसंदीदा अमल रसूल से मोहब्बत करना है। अल्लाह की कुरबत हासिल करने का ज़रिया सिर्फ मोहम्मद सल्लललाओं अलैहि वसल्लम की वाहिद ज़ाते मुबारका है। सैयद अयूब अशरफ ने कहा कि हर दावे की एक दलील होती है। जैसे कि कोर्ट में अगर कोई शख्स मुकदमा करता है तो वह उसका दावा करता है। मगर जज उस दावे पर फैसला न करते हुए उसकी दलील देखते है। अगर दलील मज़बूत तो दावा मज़बूत, दलील कमज़ोर तो दावा कमज़ोर। इसी बुनियाद पर जज हज़रात फैसला करते हैं। इसी तरह मोहब्बते ईलाही की दावा रसूल है। इस दावे मज़बूत करने के लिए हमें फराएज़ के साथ-साथ नबी सल्लललाओं अलैहि वसल्लम के बताए हुए रास्ते पर चलना है। यानी हमें चाहिए कि पड़ोसी का ख्याल रखें, अपने मुल्क से मोहब्बत करें, यतीमों का सहारा बनना है। समाज में अमन का माहौल कायम करें। रिश्तेदारों से हुस्ने सुलूक रखें। मरीजों का हालचाल लें। समाज को शिक्षित करने में हर सम्भव सहायता करें। भ्रष्ट्राचार से दूर रहें। औरत को उनके हुकुक दें। शराब जैसी गंदी चीज से दूर रहें, दहशतगर्दों से नफरत करें वगैरह और जब ईद मिलादे नबी का दिन तो हम सुबह-सुबह जुलूसे मोहम्मदी में कुछ इस तरह शामिल हो कि दूसरे कह दें कि देखो नबी के चाहने वाले ऐसे होते हैं।
अहमद मियाॅ ने जुलूसे मोहम्मदी में शामिल होने वाले लोगों से अपील की है कि अगर जुलूस में कोई एम्बुलेंस फँंस जाए तो जुलूस के बीच से रास्ते दें ताकि मरीज़ को सही वक्त पर ईलाज मुहैया हो सके तथा जितना हो सके ट्राफिक को कम से कम व्यवधान हो। हमारे नबी रहमातुल लिल आलमीन हैं वह दूसरे के लिए रहमत बनकर आए हमें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए। इस जुलूस का मकसद अज़मते मुस्तफा को समझाना है।
इस मौके पर मौलाना मुन्नवर हुसैन, मौलाना पीर मोहम्मद, कारी मोहम्मद यूसूफ, मिशन प्रवक्ता सैयद जुनैद अशरफ, यूथ उपाध्यक्ष सैयद जैनुलाब्दीन, महासचिव सरफराज़ मुस्तफा, खजाॅची मोहम्मद अफज़ल, सैयद हुसैन अशरफ, मकसूद अशरफ, मोहम्मद आमीर, मोहम्मद साजिद, जिलानी, मोहम्मद हमीद आदि मौजुद थे।