सरकार को मई में ही दे दी थी जासूसी की जानकारी, व्हाट्सएप का बयान
नई दिल्ली: व्हाट्सएप की जासूसी को लेकर केंद्र सरकार ने मोबाइल मैसेजिंग ऐप से जवाब मांगे जाने के बाद व्हाट्सएप की ओर से शुक्रवार को एक बयान जारी किया गया है, जिसमें बताया गया कि कंपनी ने यूजर्स की सुरक्षा से जुड़े इस मसले की जानकारी भारत सरकार को मई में ही दे दी थी। इसके बाद कंपनी ने जासूसी के शिकार हुए लोगों की पहचान कर उनसे संपर्क साधा।व्हाट्सएप ने कहा कि इजराइल की साइबर इंटेलिजेंस कंपनी एनएसओ ने अपने स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया और मई में कई पत्रकारों, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की। इस संबंध में जासूसी के शिकार लोगों को सूचना दी गई थी।
हाल ही में सरकार ने जासूसी के मामले की गंभीरता को देखते हुए चार नवंबर तक व्हाट्सएप से जवाब मांगा था। साथ ही इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की है कि व्हाट्सएप के साथ जून से अब तक उसके साथ कई दौर की बातचीत हुई, कंपनी ने एक बार भी पेगासस हैकिंग घटना का जिक्र नहीं किया। वहीं, व्हाट्सएप का कहना है कि मई में सरकार को जानकारी दी गई थी।
व्हाट्सएप के प्रवक्ता ने कहा कि हम निजता की सुरक्षा को लेकर भारत सरकार की चिंता से सहमत हैं। इसलिए कंपनी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कठोर कदम उठाए हैं। हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी यूजर्स के डेटा के साथ किसी तरह का खिलवाड़ ना हो। व्हाट्सएप यूजर्स के मैसेज की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, व्हाट्सएप ने मई में सरकारी एजेंसी सीईआरटी-इन (CERT-IN) को जानकारी उपलब्ध कराई थी, लेकिन इस जानकारी में भारी-भरकम तकनीकि शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। मैसेज में कहीं भी पेगासस और सुरक्षा में सेंध का जिक्र नहीं था।
दरअसल, व्हाट्सएप की तरफ से ये बयान तब आया जब रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि हमने व्हाट्सएप से पूछा कि वह भारतीय नागरिकों की निजता की रक्षा के लिए क्या उपाय कर रहा है।
बता दें कि भारत सरकार को जासूसी मामले में व्हाट्सएप पर साजिश कराने का शक है। सूत्र के मुताबिक, टेलीकॉम मंत्रालय लगातार व्हाट्सएप से मैसेज के सोर्स सुरक्षा एजेंसियों को डिस्क्लोज करने की मांग कर रहा है, लेकिन हर बार प्राइवेसी का हवाला देकर व्हाट्सएप ने सरकार की बात नहीं मानी। इसके अलावा यूएस, यूके और ऑस्ट्रेलिया भी भारत की मांग के बाद व्हाट्सएप पर दबाव बना रहे हैं।
वॉट्सऐप के जरिए भारत के कुछ पत्रकारों और हस्तियों की जासूसी की खबर ने भारतीय राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। वॉट्सऐप ने इस बात की पुष्टि की कि इजरायल की साइबर खुफिया कंपनी एनएसओ ग्रुप की ओर से भारतीय मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकारों को स्पाइवेयर द्वारा टारगेट कर उनकी जासूसी की गई। गुरुवार को जब ये मामला सामने आया तो विपक्ष ने एक बार फिर मोदी सरकार को निशाने पर लिया, लेकिन गृह मंत्रालय ने कहा है कि ये सिर्फ सरकार को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है।
इजरायली कंपनी के द्वारा पेगासस नाम के स्पाईवेयर से भारतीय पत्रकारों को निशाना बनाया गया, जिसमें 2 दर्जन से ज्यादा पत्रकार, वकील और हस्तियां शामिल हैं। अगर दुनियाभर में इस आंकड़े को देखें तो ये नंबर करीब 1400 तक जाता है। अब पेगासस के दस्तावेज जो सामने आ रहे हैं, उससे ये खुलासा हो रहा है कि ये जासूसी सिर्फ वॉट्सएप तक सीमित नहीं है।
इन दस्तावेजों में दावा किया गया है कि पेगासस स्पाइवेर का खेल वॉट्सएप के अलावा सेल डाटा, स्काइप, टेलिग्राम, वाइबर, एसएमएस, फोटो, ईमेल, कॉन्टैक्ट, लोकेशन, फाइल्स, हिस्ट्री ब्राउज़िंग और माइक-कैमरा तक को अपने कब्जे में ले सकता है। इस स्पाइवेर के द्वारा टारगेट किए गए फोन नंबर के कैमरा, माइक के डाटा को इकट्ठा किया जा सकता है। इसके लिए सिर्फ स्पाइवेर को इन्स्टॉल करने की जरूरत है, जो कि सिर्फ फ्लैश एसएमएस से भी हो सकता है।