बेरोज़गारी से ग्रसित टॉप 10 राज्यों में 6 भाजपा शासित
नई दिल्ली: देश के जिन 10 राज्यों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है उनमें से 6 में बीजेपी की सरकार है या फिर वह क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन सरकार का हिस्सा है। आर्थिक सुस्ती के बीच सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के बेरोजगारी से जुड़े ताजा सर्वे के आंकड़ों से यह बात सामने आई है। सीएमआईई के सितंबर के डाटा के मुताबिक त्रिपुरा में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर है।
सर्वे से सामने आया है कि बीजेपी शासित हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है। बीजेपी शासित इस राज्य में 31.2 प्रतिशत बेरोजगारी दर है। इसके बाद दिल्ली में 20.4 तो वहीं हरियाणा में बेरोजगारी दर 20.3 प्रतिशत है। वहीं टॉप 10 में शामिल अन्य राज्यों में हिमाचल प्रदेश 15.6 प्रतिशत, पंजाब 11.1 प्रतिशत, झारखंड 10.09 प्रतिशत, बिहार 10.3 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ 8.6 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 8.2 बेरोजगारी है।
बेरोजगारी की राष्ट्रीय औसत 8.18 प्रतिशत है। भारतीय राज्यों के इस मासिक सर्वे में 43,600 घरों को शामिल किया गया है। त्रिपुरा की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से 3.8 गुना अधिक है, जबकि दिल्ली और हरियाणा की दरें राष्ट्रीय औसत से 2.5 गुना अधिक हैं।
बात करें दक्षिण राज्यों की तो यहां पर बेरोजगारी उत्तर भारत के मुकाबले कहीं कम है। कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे कम बेरोजगारी दर है। कर्नाटक में 3.3 प्रतिशत तो तमिनाडु में 1.8 प्रतिशत बेरोजगारी दर है। गौर करने वाले बात यह है कि इस महीने हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं और इन दोनों ही राज्यों में फिलहाल बीजेपी सत्ता में है। महाराष्ट्र में जहां 5.7 प्रतिशत बेरोजगारी दर है तो वहीं हरियाणा में बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष लगातार मनोहर लाल सरकार पर हमलावर है।
हरियाणा में इस बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे सेफोलॉजिस्ट योगेंद्र यादव की स्वराज इंडिया पार्टी का दावा है कि राज्य में 19 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार हैं, जिनमें से 16 लाख से अधिक मैट्रिक पास हैं जबकि 3.8 लाख से अधिक स्नातक या इससे ऊपर के हैं। सीएमआईई कहा है कि भारत की बेरोजगारी दर अगस्त माह में 8.2 प्रतिशत के साथ बीते तीन साल के सबसे उचें स्तर पर है। इस साल अगस्त में बेरोजगारी दर अगस्त 2018 के मुकाबले 2 प्रतिशत ज्यादा रही।
छह साल में 3.5 गुना बढ़ी ग्रामीण बेरोजगारी: भारत में पिछले छह साल में ग्रामीण क्षेत्रों में साढ़े तीन गुना से ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी है। वहीं, सबसे ज्यादा बेरोजगारी शहरी क्षेत्र की युवतियों की बीच है। यह खुलासा केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय के जून में जारी आंकड़ों से हुआ है। एनएसएसओ और पीएलएफएस के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2005-06 में ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के बीच बेरोजगारी की दर 3.9 प्रतिशत थी। यह दर वर्ष 2009-10 में बढ़कर 4.7 प्रतिशत पर पहुंच गई। वर्ष 2011-12 में यह 5 प्रतिशत पहुंची और अगले छह वर्ष बाद 2017-18 में साढ़े तीन गुना से ज्यादा बढ़कर 17.4 प्रतिशत तक पहुंच गई।