पायल जांगिड़ को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने किया सम्मानित
मात्र 17 साल की पायल की आंखों की चमक और उसकी दृढ इच्छाशक्ति हमें यह पता देने का काम करती हैं कि होनहार बीरवान के चिकने पात शायद ऐसे ही होते हैं। पायल ने 12-13 साल की उम्र में अपने आस-पास सामाजिक बुराइयों का जब पसरा वातावरण देखा, तो उसका कोमल और संवेदनशील मन चीत्कार उठा और वह उसके खिलाफ विद्रोह करने लगी। शुरू-शुरू में तो उसके परिवार और समाज के लोगों ने इसे पायल का ‘बचपना’ कहा, लेकिन धीरे-धीरे लोग पायल को समझने लगें। आज के दिन स्थिति यह है कि राजस्थान के दूर-दराज हिंसला और उसके आस-पास के इलाकों में पायल को लोग गंभीरता से लने लगे हैं। पायल का महत्व तब और बढ़ गया जब वह बाल मित्र ग्राम (बीएमजी) की सरपंच (प्रधान) चुनी गईं। पायल ने तो उस दिन बच्चों के सम्मान में नगीने और हीरे जड़ दिए जब उसे 2013 में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए ‘वर्ल्डस चिल्ड्रेनस प्राइज’ का जूरी बनाया गया। पायल के बाल अधिकारों के लिए अनवरत संघर्ष और असाधारण उपलब्धियों को देखते हुए ही बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने उसे ‘चेंजमेकर’ पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया।
पायल जांगिड़ अपने जीवन संघर्ष को काव्यात्मक और प्रतीकात्मक अंदाज में समझाते हुए कहती हैं-“हर रविवार की सुबह मैं एक खेत के पास टहलती हूं। खेत के चारों ओर पेड़ ही पेड़ हैं। मैं खेत के चारों ओर जब चक्कर लगा रही होती हूं तो देखती हूं कि एक बच्चा है जो पिंजड़े में कैद है।‘’ पायल आगे कहती हैं-‘’पिंजड़े में बैठा बच्चा अपने अस्तित्व के बारे में सोचता है। बच्चा सोचता है कि अभी उसका अस्तित्व पिंजड़े तक ही सीमित है। अगर उसको अपने अस्तित्व का विस्तार करना है, तो उसको पिंजड़ा तोड़कर उससे बाहर निकलना होगा। वह पिंजड़ा को तोड़ने में किसी तरह कामयाब हो जाता है। फिर पिंजड़ा के बाहर उसके अस्तित्व का विस्तार ही विस्तार है।‘’ कहना नहीं होगा कि ‘वर्ल्डस चिल्ड्रेनस प्राइज’ की जूरी अपने सपनों को कुछ इस परिपक्व अंदाज में बयां करती हैं।
बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) की परियोजना बाल मित्र ग्राम (बीएमजी) की एक समर्पित यौद्धा के रूप में 2013 में पायल जब समुदाय में बदलाव लाने का काम कर रही थीं, तभी वह नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी के संपर्क में आती हैं और श्री सत्यार्थी का उन्हें विश्वास प्राप्त होता है। श्री सत्यार्थी पायल पर गर्व करते हैं और उन्हें लगातार प्रोत्साहित करने का काम कर रहे हैं।