अली जवाद ज़ैदी के अधूरे काम को आगे बढ़ाएंगे: डा0 वज़ाहत रिज़वी
साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा लखनऊ में उर्दू के महान साहित्यकार के जीवन पर कार्यक्रम का आयोजन
लखनऊ: उर्दू के प्रख्यात साहित्यकार, पत्रकार, अनुवादक, समालोचक और शायर अली जवाद ज़ैदी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने अपने शतवर्षकीय परिसंवाद श्रृंखला के अंतर्गत राय उमानाथबली ऑडिटोरियम के जयशंकर प्रसाद सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें देश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने प्रतिभाग किया।
तीन सत्रों पर आधारित इस कार्यक्रम के पहले सत्र की अध्यक्षता प्रो शारिब रुदौलवी ने की और स्वागत उर्दू परामर्श मंडल साहित्य अकादमी की सदस्य श्रीमती वसीम बेगम ने किया जबकि मुख्य वक्ता के रूप में श्री अनीस अशफ़ाक़ ने विचार व्यक्त किये । दूसरे सत्र की अध्यक्षता श्री शाफे किदवई ने की और अली जवाद ज़ैदी की पत्रकारिता पर लेख पढ़ा। ग़ालिब इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर रज़ा हैदर साहब ने अली जवाद द्वारा लिखित मोनोग्राम पर अपना लेख पढ़ा जबकि परवीन शुजात ने उनके साहित्यिक कारनामों पर प्रकाश डाला । कार्यक्रम के तीसरे सत्र की अध्यक्षता उर्दू दैनिक अवधनामा के प्रधान संपादक फ़ैयाज़ रफत ने की । अम्बर बहराइची ने संस्कृत के हवाले से अली जवाद ज़ैदी के कारनामों पर प्रकाश डाला ।
कार्यक्रम में दिल्ली, अलीगढ, लखनऊ के अलावा देश के और भी कई स्थानों से आये विद्वानों ने साहित्य अकादमी नई दिल्ली के इस प्रयास की सराहना की कि उसने उर्दू के महान लेखक, समालोचक, अनुवादक, शायर और पत्रकार अली जवाद ज़ैदी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर लखनऊ में कार्यक्रम का आयोजन किया जहाँ उन्होंने अपना अधिकाँश साहित्य सृजन किया । विद्वानों ने यह सुझाव भी दिया कि मशहूर साहित्यकरों के बारे में विशेषांक निकाले जाएँ। अली जवाद ज़ैदी के अधूरे कामों को आगे बढ़ाया जाय, उनके अंतिम साहित्यिक प्रयास रामकथा जो अधूरा रह गया उसे उनके परस्तार पूरा करने का बीड़ा उठायें ।
कार्यक्रम में उल्लेखनीय रूप से सूचना विभाग उत्तर प्रदेश के उपनिदेशक और उर्दू मासिक पत्रिका नया दौर के संपादक डा० वज़ाहत हुसैन रिज़वी ने अली जवाद ज़ैदी पर लिखा मोनोग्राम पढ़ा जिसे कार्यक्रम में मौजूद महानुभाओं ने काफी पसंद किया। डा० वज़ाहत हुसैन रिज़वी ने बताया कि शीघ्र ही उनके द्वारा अली जवाद ज़ैदी पर लिखित एक पुस्तक प्रकाशित होने जा रही है जो उनके द्वारा इस महान साहित्यिक हस्ताक्षर पर किये गए कामों की श्रृंखला में एक और कड़ी होगी ।