भारत की कई भाषाएं हमारी कमजोरी नहीं: राहुल
नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह द्वारा देश के लिए एक भाषा की पैरवी करने पर तमाम राजनीतिक दलों द्वारा प्रतिक्रियां आ रही हैं। अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि कई भाषाओं का होना इस देश की कमजोरी नहीं है। अंग्रेजी में किए गए एक ट्वीट कर लिखा, ‘कन्नड़, उड़िया, मराठी, हिंदी, तमिल, अंग्रेजी, गुजराती, बांग्ला, उर्दू, पंजाबी, कोंकणी, मलयालम, तेलुगू, असमिया, बोडो, डोगरी, मैथिली, नेपाली, संस्कृत, कश्मीरी, सिंधी, संथाली, मणिपुरी…. भारत की कई भाषाएं हमारी कमजोरी नहीं हैं।’
मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हासन ने हिंदी को ‘थोपने’ के किसी भी प्रयास का विरोध करते हुए सोमवार को कहा, 'विविधता में एकता का एक वादा है जिसे हमने तब किया था जब हमने भारत को एक गणतंत्र बनाया था। अब, उस वादे को किसी शाह, सुल्तान या सम्राट को तोड़ना नहीं चाहिए। हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी मातृभाषा हमेशा तमिल रहेगी।’
द्रमुक ने हिंदी को लेकर अमित शाह के बयान के खिलाफ 20 सितम्बर को तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। द्रमुक द्वारा पारित किए गए एक प्रस्ताव में कहा गया है, ‘यह आंदोलन मातृभाषा तमिल और (गैर हिंदी भाषी) अन्य राज्यों के लोगों की मातृ भाषाओं पर हिंदी थोपे जाने के प्रतिकूल प्रभावों को शुरू में दबा देने के लिए है।'