हिन्दी भारतीय संस्कृति की आत्मा है: डा0 एस जे एस फ्लोरा
नाइपर-आर में हिन्दी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
लखनऊ: सभी भारतीय भाषाओँ के लिए यदि कोई एक भाषा आवश्यक है तो वह हिन्दी ही हो सकती है। हिन्दी भारतीय संस्कृति की आत्मा है, राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (नाइपर-आर) के निदेशक डा0 एस0 जे0 एस0 फ्लोरा ने हिन्दी दिवस के अवसर पर उक्त विचार व्यक्त किये। वह संस्थान में हिन्दी दिवस़ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए अत्यंत आवश्यक है। अपने सम्बोधन में उन्होंने बताया कि हिन्दी अनुवाद की नहीं संवाद की भाषा है। किसी भी भाषा की तरह हिन्दी भी मौलिक सोच की भाषा है। भारतीय विचार और संस्कृति का वाहक होने का श्रेय हिन्दी को ही जाता है। आज संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भी हिन्दी की गूंज सुनाई देनी लगी है। अपने प्रेरणास्पद सम्बोधन में उन्होंने बताया कि हिन्दी ने हमें दुनिया भर में पहचान दिलाई है। भारत ही नहीं, अपितु दुनिया भर के कई देशों में हिन्दी बोली जाती है। हिन्दी विश्व की प्राचीन, समृद्व और सरल भाषा है। उन्होंने बताया कि राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था।
डा0 एस0 जे0 एस0 फ्लोरा ने बताया कि आप इसे हिन्दी की ताकत ही कहेगें कि अब लगभग सभी विदेशी कम्पनियाँ हिन्दी को बढ़ावा दे रही है। यहाँ तक की दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल में पहले जहाँ अंग्रेजी सामग्री को बढ़ावा दिया जाता था वहीं अब हिन्दी भाषा को बढ़ाने की प्रमुखता दे रहा है। अभी विश्व के सैकड़ों विष्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है और पूरी दुनिया में करोड़ों लोग हिन्दी बोलते है। यहीं नहीं दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली पाँच भाषाओँ में से हिन्दी एक है। उन्होंने बताया कि हिन्दी हमारे देश की राजभाषा है जिस पर हमें गर्व होना चाहिए कि हम हिन्दी भाषी है। निदेशक डा0 एस0 जे0 एस0 फ्लोरा ने बताया कि जिस प्रकार हम अपने राष्ट्र ध्वज तिरंगे को सम्मान देते है ठीक उसी प्रकार अपने देश की राजभाषा हिन्दी को भी सम्मान देना चाहिए।